SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में मैंने महोपाध्याय समयसुन्दर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विविध दृष्टिकोणों से अध्ययन करने का प्रयत्न किया है, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्न अनुसार है - प्रथम अध्याय में समयसुन्दर के जीवन-वृत्त का सविश्लेषण विवेचन किया गया है। इसमें सर्वप्रथम समयसुन्दर के जीवन-वृत्त को प्रस्तुत करने के लिए उपलब्ध सामग्री का विवरण प्रस्तुत किया गया है। तत्पश्चात् उपलब्ध प्रामाणिक साक्ष्यों के आधार पर समयसुन्दर के नाम, जन्म-स्थान, जन्म-तिथि, माता-पिता, जाति तथा गोत्र, गृहस्थजीवन, दीक्षा, गुरु-परम्परा, शिक्षा और शिक्षा-गुरु, पदारोहण, पद-यात्राएँ, अभाव तथा संघर्ष, क्रियोद्धार, व्यक्तित्व, अन्तिम जीवन एवं समाधिमरण और शिष्य-परिवार पर क्रमश: विचार किया गया है। समयसुन्दर के व्यक्तित्व का परिचय देते हुए उनके ज्ञानगाम्भीर्य, भक्ति-प्रवणता, आत्मवत् सर्वभूतेषु' की अवधारणा से अभिभूतता, साम्प्रदायिक औदार्य, आचार-निष्ठा, साहित्य-सेवा आदि विशेषताओं का मुख्यतः विश्लेषण किया गया है। द्वितीय अध्याय का सम्बन्ध समयसुन्दर के कृतित्व से है। इस अध्याय में महोपाध्याय समयसुन्दर की रचनाओं को मौलिक संस्कृत रचनाएँ, संस्कृत-टीकाएँ, संग्रह-ग्रन्थ, भाषा-कृतियाँ, बालावबोध या भाषा-टीका, प्रकीर्णक रचनाएँ - इस प्रकार वर्गीकरण करते हुए उनके उपलब्ध साहित्य का परिचयात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। प्रकीर्णक रचनाओं में समयसुन्दर की तीर्थङ्कर सम्बन्धित रचनाएँ, मुनियों से सम्बन्धित रचनाएँ, सतियों से सम्बन्धित रचनाएँ, गुरु-गीत, उपदेशपरक रचनाएँ, विरह-गीत और अन्य समस्त फुटकर रचनाओं को सम्मिलित किया गया है। तृतीय अध्याय में समयसुन्दर की भाषा का अध्ययन भाषा-परिचय, भाषाशैली एवं भाषा-शक्ति- इन तीन मुख्य शीर्षकों के अन्तर्गत किया गया है। भाषा-परिचय में समयसुन्दर की संस्कृत भाषा, प्राकृत भाषा, मरु-गुर्जर भाषा (प्राचीन हिन्दी) और सिन्धी भाषा का समीक्षात्मक परिचय दिया गया है। भाषा-शैली के अन्तर्गत समयसुन्दर की गद्य-शैली, पद्य-शैली एवं गद्य-पद्य-मिश्रित-शैली का निर्देशन करते हुए उन-उन शैलियों में लिखित ग्रन्थों का वर्गीकरण किया गया है। इसके बाद वर्ण्यविषय आदि के आधार पर समयसुन्दर की बहुविध भाषा-शैली का विशेष अध्ययन किया गया है, जिनमें तार्किक शैली, अनेकार्थी शैली, संवाद शैली, दृष्टान्त शैली, व्याख्यात्मक शैली, मिश्रितभाषा शैली, पादपूर्ति शैली आदि प्रमुख हैं। तत्पश्चात् भाषा-शक्ति के अन्तर्गत समयसुन्दर का भाषा-सामर्थ्य सविस्तार वर्णित है।। चतुर्थ अध्याय में समयसुन्दर के वर्णन-कौशल की चर्चा की गई है। इसमें प्रकृति, नगर, वैभव, स्वप्न, नख-शिख, नर्तकी, स्वयंवर-मण्डप, विवाह, युद्ध, शकुन, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy