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________________ ४४४ २.१.३९ दूध थकां कुंण छासिनइ पीवइ । २.१.४० धुरि थी जे हुवइ धीठ, नहीं रहइ ते नीठ । २.१.४१ निसवाद वेलू ना कउलीआ । २.१.४२ पंचो माई कहीजियइं, परमेसर परसाद । २.१.४३ पाछा नावई जे मुआ । ५ २.१.४४ पेटइ को धालइ नहीं, अति वाल्ही छरी । २.१.४५ पोलि ताला जड्या । ७ २.१.४६ बधिरस्य ग्रन्थकोटि श्रवणेऽपि नावबोधो जायते ।" २.१.४७ बिछावणो लह्यो ऊंघतां । २.१.४८ बातें पापड़ किमही न थाइ । १० २.१.४९ बूढ़ा ते किम बाल कहीजइ । ११ २.१.५० भूखो भोजन खीर बिण जीम्यां छोडइ नहीं । १२ २.१.५१ माय बाप आगल बोलतां जी, बालक केही लाज । १३ २.१.५२ मंजार मुखि छछंदरी । १४ २.१.५३ मनहूइ राजी तउ क्या करइ काजी । १५ २.१.५४ माल मलूक महल मन हरणा, साथइ नहीं आवइ इक तरणा । १६ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ९. वही ( २.३. दूहा १३ ) २. नलदवदंती - रास (ढाल ४ से पूर्व सोरठा ३) ३. थावच्चासुत ऋषि - चौपाई (१.९.२४) ४. सीताराम - चौपाई (५.१.४) ५. सीताराम - चौपाई (३.२०) ६. वही (८.१.१७) ७. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६ ८. वही, पृष्ठ २०६ ९. सीताराम - चौपाई (४.४. दूहा ४ ) १०. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, प्रस्ताव सवैया छत्तीसी (१९). ११ . वही, हित शिक्षा गीतम् (२) १२. सीताराम - चौपाई (८.१.२) १३. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, आलोयणागर्भित श्री शत्रुञ्जय-मण्डन आदिनाथ भास (७) १४. मृगावती चरित्र - चौपाई (१.५.६) १५. शांब - प्रद्युम्न - चौपाई (१६.२) १६. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, अंतसमये जीव-निर्जरा गीतम् (४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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