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________________ ४४२ २.१.७ इणगी बाघ इहां खाई? २.१.८ उषरक्षेत्रे उप्तान्यापि बीजानि नोद्गच्छन्ति । २.१.९ एक हाणि नइ बीजउ हांसउ । ३ २.१.१० एक हाथि न पड़इ तालि । * २.१.११ एकल आव्यउ, एकलउ जाइसि, नहिं को आवइ साथ । २.१.१२ एक हाथ मुक्ति, एक हाथ फांसी । २.१.१३ ओल्युं करतां थाइ पैल्युं । महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व २.१.१४ कहिता बात सोहिली, करता दोहिली होय ।" २.१.१५ करम तणी गति कहिय न जाय । २.१.१६ काको धौतो दुग्धेनापि धवलतां न प्राप्नोति । १० २.१.१७ कीड़ी ऊपरि केही कटकी । ११ २.१.१८ कूर्मकाय : प्रहारशतैरपि न भेत्तुं शक्यते । १२ २.१.१९ खलो वा सत्क्रियमाणोऽपि न मैत्रीभावं भजते । १३ २.१.२० खत ऊपर जिम खार, दुख माहे दुख लागो । १४ २.१.२१ गज चढ्या केवल न होइ रे । १५ २.१.२२ गज दरसण श्रीकार । १६ १. सीताराम - चौपाई (२.३.४) २. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६ ३. नलदवदन्ती - रास (२.१.४ ) ४. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री राजुल रहनेमि गीतम् (२) ५. सयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, बारह भावना गीतम् (५) ६. वही, निद्रा गीतम् (२) ७. चम्पक श्रेष्ठि- चौपाई (१.९.२) ८. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, धन्ना - शालिभद्र सज्झाय (१३) ९. सीताराम - चौपाई (२.२.२४) १०. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६ ११. सीताराम - चौपाई (६.२.५०) १२. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६ १३. वही, पृष्ठ २०७ १४. सीताराम - चौपाई (८.१.२२) १५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री बाहुबलि गीतम् (२) १६. सीताराम - चौपाई (१.८.१०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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