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________________ ४०६ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.१० आख्यान-नी। राजा राज करइ जय नामे। - द्रौपदी-चौपाई (२.९) ५.२.११ आज धराहूँ धुंधलउ। - थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.३) ५.२.१२ आदर जीव क्षमा गुण। - पुण्यसार रास (११) ५.२.१३ आवउ जुहारो रे अझारउ पास। - सीताराम-चौपाई (५.१) ५.२.१४ आवउ रे सहियर सवि मिली जी। - जिनसागरसूरि-गीतानि (८) ५.२.१५ आव्यउ तिहां नरहर। __- सत्रह प्रकार जीव अल्प-बहुत्व गर्भित स्तवनम् (२) ५.२.१६ आहे पोस पढम पखि दसमी निसि जिण जायउ। - उपधानतप स्तवनम् (२) ५.२.१७ इक दिन महाजन आवे ए। - क्षुल्लकऋषि-रास (१); नलदवदन्ती-रास (२.५) ५.२.१८ इडर आंबा आंबिली। - चम्पकवेष्ठि-चौपाई (२.६) ५.२.१९ इडरगढ नी। ___ ~ थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.७) ५.२.२० इणइ गामड़ि वाड़ी वलि, के आम्बा रावला रे। - मृगावती-चौपाई (३.३) ५.२.२१ इम सुणि दूत वचन कोपियउ राजा मन्न। - सीताराम-चौपाई (५.६); वल्कलचीरी-रास(९) ५.२.२२ इडरियै-र उलगाणइ आबू उलग्यउ आ.। - सीताराम-चौपाई (३.६) ५.२.२३ उपशम तरु छाया रस लीजइ। - चार प्रत्येकबुद्ध रास (४.२); युगमंघर जिन गीतम्. ५.२.२४ उमटि आइ बदली। ___ - चम्पकवेष्ठि चौपाई (२.३) ५.२.२५ उमटि आई मारु बादली म्हांका ढोलणा वरसाण लागउ मेह। - थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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