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________________ ३३२ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ११. नगर-प्रवेशोत्सव वर्णन समयसुन्दर की तूलिका आनन्द और उल्लास के स्थलों में अपनी रुचि के अनेक रंग भरती है। राजा नल, दमयन्ती से विवाह करके अपने नगर को लौटता है। दोनों के नगर प्रवेश का उत्सव धूमधामपूर्वक होता है। नागरिकजन हर्षपूर्वक नल-दमयन्ती को बधाई देते हैं, उनका स्वागत और अभिवादन करते हैं। उनके सत्कार में मन्त्रियों ने सुन्दर प्रवेशद्वार तैयार कराये। कोटवाल ने नगर को स्वच्छ कराया, निर्मल नीर छिड़कवाया, गली-गली में फूल बिखेरे, तोरण-द्वार बन्धवाये, घर-घर में पतंगें उड़ाई गईं, हाट श्रृंगारित किये गये, पोल (मुख्य द्वार) में दर्पण का सूर्य चमक रहा था, मद झरते हाथी, जिनकी पलाण स्वर्ण-मणि जड़ित थीं और मस्तक सिन्दूर पर्वत के समान दिखाई दे रहे थे, आगे-आगे चल रहे थे। तूर, भेरी, नफरी अर्थात् डफली आदि वाद्य बज रहे थे। सधवा स्त्रियाँ मस्तक पर पूर्णकुम्भ लिए सामने से चली आ रही थीं। सरस गीतों का गान हो रहा था। लोग मोती उछाल-उछाल कर उन्हें बधा रहे थे। सभी लोगों ने उन्हें मंगल आशीर्वाद दिया। कवि समयसुन्दर के शब्दों में देखिये राम, सीता और लक्ष्मण का वनवास-काल-निर्गमन के बाद अयोध्या नगर में प्रवेश-उत्सव का सुखदायी वर्णन - भरत महोछव मांडियउ, बहुरावी हे गली नगर मझारि। अयोध्या राम पधारिया, पधारया हे वलि लखमण वीर। गन्धोदक छांटी गली, विखे हे फूल पंच प्रकार। केसर रइ गारइ करी, लीपाव्या हे मन्दिर तणा बार। मोती चउक पूरावीया, बारि बांध्या हे तोरण तिण वार ।। घरि-घरि गूडी ऊछलइ, हाट छाया हे पंचवरण पटकूल। छतउ बाजार छायाविउ, चन्दूवाहे चिहुं दिसि बहुमूल॥ बांध्या मोती झुंबखा, मणि माणक हे, रतनां तणी माल। लम्बी बांधी लहकती, ठाम-ठाम हे वलि लाल परवाल॥ केलि थांभा ऊँचा किया, सोना ना हे तिहाँ कलस विसाल। वनमाल बांधी वली, लोक वोलइ हे आयो पृथिवी नो पाल॥ इण अवसरि विद्याधरे, आवीनइ हे विभीषण आदेश। रतनवृष्टि कीधी घणी, घरे-घरे हे त्रिक चउक प्रदेश॥ उत्तुंग तोरण देहरा, अति ऊँचा हे अष्टापद गिरि जेम। कंचणमय कीधा तिहां, कोसीसा हे मणि-रतन ना तेम ।। १. द्रष्टव्य - नलदवदन्ती रास (१.७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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