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________________ समयसुन्दर का जीवन-वृत्त ५. जन्म-तिथि अर्वाचीन साहित्यकारों की यह अपेक्षा है कि प्राचीन कविजन अपने जीवन-वृत्त के सन्दर्भ में अपनी जन्मतिथि का अंकन भी कर देते तो बहुत अच्छा होता, क्योंकि बाद में उन कवियों की जन्मतिथि का निर्धारण कर पाना एक जटिल समस्या बन जाती है। समयसुन्दर ने भी अपनी जन्मतिथि का कोई उल्लेख नहीं किया है। परवर्ती कवियों ने भी कवि के जन्म दिनांक का निर्देश नहीं दिया है। तदर्थ इनके जन्म-संवत् के विषय में विद्वानों में मतभेद है। - मोहनलाल दलीचंद देसाई के मतानुसार कवि का जन्म-काल सम्भवतः संवत् १६२० है। उनका अभिमत है कि कवि का प्रथम ग्रन्थ 'भावशतक' है। 'भावशतक' ग्रन्थ की रचना संवत् १६४१ में हुई है - ऐसा ग्रन्थ के अन्त में निर्दिष्ट है। अतः इस ग्रन्थ की रचना के समय यदि हम उनकी आयु २१ वर्ष स्वीकार करें, तो उनका जन्म सं. १६२० में हुआ होगा, यह कह सकते हैं। श्री देसाई के मत को मान्य करते हुए श्री अगरचंद नाहटा ने भी कवि का जन्म-समय विक्रम संवत् १६२० ही स्वीकृत किया है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने भी श्री नाहटा के कथन को ग्रहण करते हुए कवि का जन्मकाल सं. १६२० ही मान्य किया है।३ मोहनलाल भगवानदास झवेरी भी इसी तथ्य का समर्थन करते हैं; जबकि महोपाध्याय विनयसागर', डॉ. रमणलाल चीमनलाल शाह और डॉ. सत्यनारायण स्वामी ने उनका जन्म कुछ पूर्व माना है। विनयसागर के मतानुसार कवि का जन्म संवत् १६२० में न होकर संवत् १६१० में हुआ होगा। डॉ. शाह भी यही जन्मकाल मानने के पक्ष में हैं। लेखक को भी यही जन्म-समय समीचीन जान पड़ता है। इस बात की सिद्धि के लिए अनेक तर्क दिये जा सकते हैं - (क) समयसुन्दर का सबसे पहला ग्रन्थ 'भावशतक' सं. १६४१ में रचित है। इस संस्कृत-ग्रन्थ में उन्होंने मम्मट के 'काव्यप्रकाश' का अध्ययन कर ध्वनि आदि सूक्ष्म १. आनन्द-काव्य-महोदधि, मौक्तिक, ७, कविवर समयसुन्दर २. कविवर समयसुन्दर, नागरी प्रचारिणी पत्रिका (वर्ष ५७, अंक १, सं. २००९) ३. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, भूमिका, पृष्ठ ७ ४. गाथा-सहस्री, प्रस्तावना, पृष्ठ १ ५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, महोपाध्याय समसुन्दर, पृष्ठ ४ ६. समयसुन्दर कृत नलदवदंती-रास, भूमिका, पृष्ठ २१ ७. महाकवि समयसुन्दर और उनकी राजस्थानी रचनाएँ, पृष्ठ २९ ८. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, भूमिका, पृष्ठ ३-४ ९. समयसुन्दर कृत नलदवदंती-रास, भूमिका, पृष्ठ २१-२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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