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________________ १८२ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रस्तुत रास की रचना तिमिरीपुर में वि० सं० १६८२ में हुई थी, जिसका निर्देश कवि ने इस प्रकार किया है - संवत सोल सइ ब्यासीया वरसे, रास कीधउ तिमरीपुर हरषे। वस्तुपाल तेजपाल नऊ ए रास, भणतां, सुणतां, परम हुलास ॥ 'समयसुन्दर कृति कुसुमांजली' में यह कृति सम्पादित है। __वस्तुपाल-तेजपाल के संबंध में समयसुन्दर के अतिरिक्त अन्य कवियों ने भी रचनाएँ लिखी हैं। इनमें संस्कृत में लिखित मेरुतुङ्गकृत प्रबन्धचिन्तामणि (सं० १३६१), जिनहर्षकृत वस्तुपालचरित्र (सं० १४९७) उल्लेखनीय हैं और भाषा में लिखित रचनाकारों में हीरानन्दसूरि (सं० १४८४), लक्ष्मीसागरसूरि (सं० १५४८), पार्श्वचन्द्र (सं० १५५५), मेरुविजय (सं० १७२१) आदि नाम उल्लेखनीय हैं। ४.१.११ थावच्चासुत ऋषि-चौपाई ___ कविवर समयसुन्दर ने पौराणिक कथाओं के आधार पर बहुत से रास या आख्यान लिखे हैं। 'थावच्चासुत ऋषि-चौपाई' भी एक ऐसी ही रास कृति है, जिसका कथानक संक्षिप्त है, लेकिन एक सिद्धहस्त कवि के द्वारा इसका प्रणयन होने के कारण इसकी कथा में स्वाभाविकता और भाषा में प्रवाह है। 'थावच्चासुत ऋषि-चौपाई' की समाप्ति कार्तिक वदि ३, वि० सं० १६९१ में खम्भात नगर के खारुयावाड़े में खरतरगच्छ के उपाश्रय में हुई थी। कवि ने स्वयं लिखा संवत् सोल एकाणुं वरषे, काति वदि त्रीज हरषइ बे। श्री खम्भायत खारुयावाडइ, चउमास रह्या सुदिहाडइ बे॥ यह रचना दो खण्डों में है। प्रथम खड में दस ढालें हैं और उसमें सर्वगाथा २१७ हैं। द्वितीय खण्ड में भी दस ढालें हैं और उसमें सर्वगाथा २३१ हैं। ढालों के बीच-बीच में दोहे भी रचे गये हैं। कुल मिलाकर यह रचना बीस ढाल में ४४८ गाथाओं में परिनिर्मित है। कवि ने थावच्चासुत के कथानक का आधार 'ज्ञाता-धर्म-कथा' 'णायाधम्म-कह्य' नामक आगमिक साहित्य से लिया है। ज्ञाताधर्मकथा' के 'सेलग' नामक पंचम अध्ययन में यह वृत्तान्त सुधर्मा स्वामी ने जम्बूस्वामी को कहा था। कवि ने भी रास की अन्तिम पंक्तियों में इसका निर्देश दिया है - एह एह संबंध अछइ अति सारा, ज्ञाताधरम मझारा बे। सुधरम साम कहइ गणधारा, जंबूनइ हितकारा बे॥२ थावच्चासुत की घटना तीर्थङ्कर श्री नेमिनाथ के काल की है। अत: कवि ने १. थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (२.१०.१९-२०) २. थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (२.१०.१५-१६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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