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________________ जिनशासनके प्रताप HEU - मुनि अमरपद्मसागर पूज्यपाद तपस्वीराज आचार्यदेवेश श्री हिमांशुसूरीश्वरजी महाराज साहेबका नाम-स्मरण और नाम-श्रवण करते ही अनेक गुण प्रभव स्मृति पट पर बिना प्रयास सहज ही उपस्थित हो जाते है ! पूज्य आचार्य भगवंत की तप साधना निर्दोष मुनि चर्या, आहार शुद्धि का प्रबल पुरुषार्थ, वात्सल्य भाव, निर्विकार नयन युगल, श्री संघ के एकता यज़ में स्वयं की संपूर्ण समर्पितता, सम्यक प्रवृतिायाँ और परिणामों के लिख आशास्पद दृढ मोनबल इत्यादि अनेक गुणों के स्वामी पूज्यपाद श्री जिनशासन के एक प्रोढ प्रतापी और संयमपूत महापुरुष थे! वि. सं. २०५६ में तपस्वी सम्राट के दर्शन पानसर तीर्थमें शासनप्रति श्री महावीर स्वामी के सानिध्य में हुये, जेठ माह के गर्मी के दिनों में भी उनका विहार कार्यक्रम देखकर कोई पूर्वके महर्षि का स्मरण हुआ, वन्दना सुखशाता-पृच्छा के बाद आयंबिल की तपश्चर्या से कृशकाय बने वयोवृद्ध सूरिपुंगव के मुखारविन्द से श्री संघ की एकता, तिथि प्रश्न में संवादिता कट्टर साधुचर्या और जीवन में स्वाध्याय की आवश्यकतादि वार्ता सुनकर स्पष्टतः आशास्पद दृढ़ मनोवृत्तिओ के दर्शन हुये। शत प्रतिशत एसे सूरिवरों की गुण श्रेणिओं की बिभावना अंतर के अंधकार को उजास में परिवर्तन करने में सक्षम है! सचमुच उनके पुण्य नाम का पर्याय ही गुण वैभव था ! स्मृति ग्रन्थ के बिना भी उनके जीवन की सच्ची साक्षरता युग युगों तक अमर रहने में शक्तिमान है। पूर्व पंरपरा के संभवतः सम्यक् संवाहक पूज्यपादश्री के संस्कारो से तो उनकी अधिकांश स्थिरता जहाँ पर हुई वहाँ के क्षेत्र के संस्कारित बने श्रमणोपासकों में भी भक्तिभाव सरलता त्यागवृत्ति, पौषध सामायिक विगेरे अनुष्ठानों की रूचिस्पष्टत: दृष्टिगत होती है । दृष्टान्त के रूप में वासणा श्री संघ ( अमदाबाद)हमारे सामने है। मुझे परिशिष्ट पर्व में कथित कलिकाल सर्वज्ञ पूज्यपाद हेमचन्द्राचार्य जी के वचन स्मरण मे आ रहें है, "स्वाध्यायावश्यक समो गुरुनाम् हि गुणस्ततः" अर्थात् स्वाध्याय और आवश्यक क्रियासे गुणसंपन्न महषिओं का गुणोत्कीर्तन करना कोई कम नहीं है! ____ अंततोगत्वा पूज्यपाद श्री के अंशमात्र गुणो का आलेखन मेरे जीवन में भी तप-साधना निर्दोष मुनिचर्या निस्पृहता और सम्यक्प्रवृत्तिओं के प्रति दृढ़ मनोबल प्राप्त हो यही वीतराग परमात्मा से और स्वर्गस्थ पूज्यपाद श्री से प्रार्थना!
SR No.012070
Book TitleVismi Sadini Viral Vibhuti Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherSahasavan Kalyanakbhumi Tirthoddhar Samiti Junagadh
Publication Year2009
Total Pages246
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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