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________________ मुख्य सहयोगी समाजभूषण सुश्रावक श्री सुमेरमलजी हंजारीमलजी लुक्कड़ एवं सुश्राविका सुआबाई सुमेरमलजी लुक्कड़ भीनमाल (राज.) निवासी श्रीमान्हंजारीमलजी जवानमलजी लुक्कड़ के सुपुत्र समाजभूषण श्री सुमेरमलजी लुक्कड़, अ.भा. त्रिस्तुतिक जैन श्री संघ के अध्यक्ष एवं श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के उपाध्यक्ष हैं। आप सरल स्वभावी एवं मूदुभाषी व्यक्तित्व के धनी है। आपके दिल में प.पू. ग्रंथनायक आचार्यश्री के प्रति अनन्य श्रद्धा हैं। उसी के वशीभूत होकर पूज्यश्री की शुभ प्रेरणा से अपनी जन्मभूमि भीनमाल में भारत का अलौकिक एवं अद्वितीय श्री र जिनालय स्वद्रव्य से निर्माण कराने का शुभ संकल्प लिया हैं जो की पूर्णता की ओर अग्रसर हो रहा हैं। आप देव-गुरु एवं धर्म के प्रति समर्पित हैं। समाजसेवा एवं धार्मिक कार्यों में आप सदैव अग्रणी बने रहते हैं। आपने अभी तक अनेक जिनालयो, शाला, भवनों, अस्पताल भवनों आदि का निर्माण करवाया है, वे इस प्रकार हैं: * श्री र जिनालय, भीनमाल (राज.) * श्री मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालय, भीनमाल (राज.) * श्री गोडी पार्श्वनाथ जिनालय, सुमेर टॉवर, मुंबई * श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय, अरविंद कुंज, मुंबई * श्री चिंतामणि पालनाथ जिनालय, सुमेरनगर, बोरीवली, मुंबई * श्रीमती मालूबाई हंजारीमलजी लुक्कड़ चिकित्सालय, भीनमाल (राज.) * श्रीमती सुआबाई सुमेरमलजी लुक्कड़ उच्च म.वि., भीनमाल (राज.) * श्री सुमेरमलजी हंजारीमलजी लुक्कड़ गेस्ट हाउस, भीनमाल (राज.) * श्री हंजारी भवन धर्मशाला, भीनमाल (राज.) * श्री लुक्कड़ भवन, पालीताणा (गुज.) * श्री लुक्कड़ प्रवेशद्वार, श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ * श्री भोजनशाला भवन, श्री भांडवपुर तीर्थ (राज.) * श्री जिनमंदिर द्वार, उवसठगहरं तीर्थ (म.प्र.) आपके द्वारा आयोजित विविध कार्यक्रमः * पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में पालीताणा में १००० आराधकों का सन् १९९५ में भव्य चातुर्मास * श्री सिद्धाचल तीर्थ की नव्वाणु यात्रा * श्री उपधान महातप, भीनमाल * पू. आचार्यश्री के आशीर्वाद से भीनमाल से श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ के लिए ९०० यात्रियों का ट्रेन द्वारा यात्रा संघ आपकी धर्मपत्नी सुश्राविका सौ. सुआबाई भी अपने पति की भांति ही देव-गुरु और धर्म के प्रति समर्पित है तथा आप अपने पतिदेव के प्रत्येक कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग प्रदान करती है। आप तपस्विनी भी हैं। सुश्राविका सौ. सुआबाई द्वारा सिमलावदा (म.प्र.), निरोला (म.प्र.), कड़ोद (म.प्र.) एवं अनेक जिनालायों के जिर्णोद्धार एवं निर्माण में विशेष सहयोग प्रदान किया है। सौ. सुआबाई द्वारा मासक्षमण, वर्षीतप, वर्धमानतप, ओली, १०० अट्ठम, अनेक अट्ठाईयां आदि की तपस्याएं की है। श्री सुमेरमलजी के दो भाता श्री किशोरमलजी एवं श्री माणकचंदजी सरल स्वभावी हैं। आपके पुत्र श्री रमेशकुमारजी भी आपके बताये मार्ग पर चल रहे हैं। शासनदेव से आपके सुस्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना है। lernational For Prvale & Personal Use Only
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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