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________________ Ja राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ ये अणुव्रत नकारात्मक सिद्धान्त है और हमें क्या करना चाहिए यह नहीं बताते हैं। फिर भी इनका पालन बहुतेरे नैतिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सकता है। इनके पालन से चरित्र निर्माण होता है और धीरे धीरे मनुष्य आत्म साक्षात्कार की ओर बढ़ता है, सम्भवतः सार रूप में यह कहना कठिन होगा कि सम्यग् आचरण का मूल मन्त्र अहिंसा है जिस पर अधिक बल दिया गया अहिंसा में सभी शुद्ध आचरण समा जाते हैं। अहिंसा का किसी प्रकार की हिंसा न करने के साथ भावात्मक रूप में सेवा करना ही है। आधुनिक जगत् विविध प्रकार की अनैतिकताओं से भ्रमित है और दुखी है। इससे बचने का एक मात्र उपाय न तो पूंजीवाद है न साम्यवाद और न समाजवादी प्रजातन्त्रवाद ही है। क्योंकि ये तीनों सिद्धान्त शाखाओं को हरा-भरा बनाये रखना चाहते हैं और वृक्ष की जड़ की चिन्ता नहीं करते हैं अहिंसा पर आधारित आध्यात्मिक साम्यवाद सम्भवतः I व्यक्ति और समाज को दुःखों से बचा सकता है । सकता है इसका एक सीमा तक प्रयोग हमारे देश में गांधीजी ने किया था 2" । 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. संदर्भ ए. एन. भट्टाचार्य, दार्शनिक निबंधावली, दुर्गा पब्लिकेशन्स, दिल्ली, 1989 पृ. 27-28 तत्वार्थ सूत्र 1/1 डॉ. रामकिशोर शर्मा, सांख्य एवं जैन दर्शन की तत्त्व मीमांसा तथा आचार दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन पृष्ठ 1987 वही, पृ. 83 वही, पृ. 84 10. वही, पृ. 84-85 9. तत्वार्थ सूत्र 1/2 एवं 1/4 अर्हत्दास विन्डोवा दिगे, जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन, अमृतसर, 1981 डॉ. रामकिशोर शर्मा, वही पृ. 175 अर्हत्दास विन्डोवा दिगे, वही पृ. 82-83 11. वही, पृ. 85-86 12. रामकिशोर शर्मा, वही, पृ. 176 13. वही, पृ. 176 कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन धर्म भारतीय दिगम्बर जैन संघ, 1988, पृ. 171 15. तत्वार्थ सूत्र, 7/14 16. आचारांग सूत्र, द्वितीय श्रुत स्कंध, 9/53, आत्माराम एण्ड सन्स, प्रथम संस्करण 17. डॉ रामकिशोर शर्मा, पृ. 194-95 18. वही, पृ. 195 19. वही, पृ. 196 20. वही, पृ. 196 21. डॉ. हृदय नारायण मिश्र, डॉ. जमुनाप्रसाद अवस्थी, नीतिशास्त्र की भूमिका हरियाणा साहित्य अकदामी, चण्डीगढ़, 1988 पृ. 393 - 96 हेमेजर ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 95 Private & Pr - डी-10, विश्वविद्यालय परिसर, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र - 136 119 (हरियाणा) हेमेटलर ज्योति हेमेन्द्र ज्योति politan
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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