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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ गानेवाले, नृत्य करने वालों को बुलाकर शानदार प्रतिष्ठा करवाई। रसोई वाला भी बहुत होशियार था। भोजन व नाश्ते व उठने बैठने ठहरने की शानदार व्यवस्था थी । शायद ऐसी प्रतिष्ठा बहुत कम होती है । ये प्रतिष्ठा तो ऐसी थी जिसे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा । ईश्वर की इतनी महर थी कि किसी को कोई भी तकलीफ नहीं हुई और प्रतिष्ठा शानदार से सम्पन्न हुई । उसके बाद आचार्यश्री व मुनि मण्डल, साध्वी मंडल के साथ टीपटूर गये। वहां के संघ की भी भाव भरी विनंती थी कि गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी का मंदिर तैयार हो गया है और उसकी प्रतिष्ठा करवानी है। संघ ने आचार्यश्री को उस हेतु पहले विनंती की हुई थी और आचार्यश्री ने कहा हुआ था कि राणीबेन्नूर के बाद आपके वहां भी प्रतिष्ठा करवा देंगे। व गुरु महाराज ने प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाल कर दिया था । और कहा तुम प्रतिष्ठा की तैयारियां शुरू करदो । आचार्यश्री ने टीपटूर पधारकर प्रतिष्ठा का सभी काम शुरू करवाया । चढावे बुलवाए वहां भी लाखों रूपयों के चढ़ावे हुए । और प्रतिष्ठा बडे ही ठाटबाट व उल्लास के साथ सम्पन्न हुई । हजारों की संख्या में बाहर गांव से लोग आए । और प्रतिष्ठा बहुत ही ठाट बाट से हुई। घर घर बहुत खुशियाँ छाई । गांव में आनंद मंगल हुआ। और उसी दिन गुरुदेव ने अगले चातुर्मास की जय बोली । उसमें भाग्योदय से मद्रास श्री राजेन्द्रसूरि जैन ट्रस्ट को आचार्यश्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी का चातुर्मास कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । और चेन्नई में चातुर्मास करने की घोषणा की गई। जिससे मद्रास संघ हर्ष विभोर होगया व खुशियों का पार नहीं रहा और सभी लोग आचार्यश्री की जयजयकार करने लगे । टीपटूर से विहार करते करते सैकड़ों गांवों में घूमते हुए धर्म के प्रगट करते करते मद्रास की तरफ आपका विहार हुआ। मद्रास ट्रस्ट समय समय पर आपसे मिलने जाता रहा। आप मदुराई कोइम्बतूर पांडीचेरी, तीन्डीवनम, वन्डर चीन्गलपेट आदि अनेक गांवों में विहार करते हुए ता. 7-7-2000 के सुबह 8 बजे आप मद्रास पटनी प्लाजा (साहूकारपेट) पधारे। वहां से ठीक 9 बजे गुरुदेव के प्रवेश का एक जुलुस सामैया व गहुली करने के बाद प्रारंभ हुआ। जिसमें विशाल संख्या में भीड उमड़ पड़ी उस समय पटनी प्लाजा व्यापारी संघ ने श्रीसंघ का संघ पूजा से एवं उनकी साधर्मिक भक्ति मसाला दूध पिलाकर की । और वरघोड़ा वहां से शुरू हुआ । मद्रास के मार्गों से होता हुआ विशाल जन समुदाय के साथ वरघोड़ा करीब 10 बजे राजेन्द्र भवन पहुंचा । उस समय वर घोड़े के साथ आराधना भवन से आचार्य श्री नित्योदयसागर सूरीश्वरजी एवं श्री चन्द्राननसागर सूरीश्वरजी अपने मुनिमंडल सहित राजेन्द्र भवन पधारे । विशाल समुदाय के साथ वरघोडा राजेन्द्र भवन पहुंचा । कई महानुभावों ने मंगल प्रवेश पर गुरु गुण गान किया व गुरुदेव का अभिनंदन व स्वागत किया। आचार्य श्री नित्योदयसागर सूरीश्वरजी ने भी संघ को सम्बोधन किया व मंगलिक प्रवचन किया । बाद में कोंकण केसरी श्री लेखेन्द्रशेखर विजयजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि इस चातुर्मास में आपको धर्म व जप तप करना चाहिये जिससे हम अपने जीवन को सफल बना सके अन्त में आचार्य श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी I ने मंगल प्रवचन दिया व गुरुगौतम स्वामी जी का रास सुनाया मंगल प्रवेश का कार्यक्रम बड़े ही उल्लास पूर्वक सम्पन्न हुआ आराधनाओं के साथ आरम्भ हुआ। आचार्यश्री ने चातुर्मास के आराधना करवाई । और चार्तुमास धूम धाम व ठाट बाट से सम्पन्न हुआ । यह एक ऐतिहासिक चार्तुमास हुआ । आचार्यश्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी एक महान् भद्रिक सरल स्वभावी एवं शान्तिदायक आत्मा है । आपकी प्रशंसा व आपके जीवन का उल्लेख जितना करें उतना कम है । इस अवसर पर हम सभी आपका अभिनंदन एवं स्वागत करते है व सुखशाता पूछते हैं और ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि आपका जीवन सुखतातापूर्वक व्यतीत हो । आप दीर्घायु हो, चिरंजीवी हो, आपको शारीरिक सुख सम्पदा प्राप्त हो । आप शासन की सेवा के कार्यों को करने में हमेशा सफल होते रहें। यही हमारी ईश्वर से प्रार्थना है । आप अपने मुनि मण्डल सहित सुखशाता में बिराजें। व शासन की सेवा करके अपने जीवन को धन्य बनाने सुखी बनायें आपके चरणों में कोटि कोटि वंदना । यही हार्दिक अभिलाषा है । जय जिनेन्द्र । aducation Intel हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 194 व सभी को शुभ आशीर्वाद दिया । इस ऐतिहासिक । चेन्नई का चातुर्मास जप तप ज्ञान ध्यान व अनेक दरम्यान अनेक तपश्चर्या महापूजन, नमस्कार मंत्र की 73 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति www.jamelibrary
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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