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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ सं. 2008 का चातुर्मास भीनमाल में किया और यहां वर्षों से चले आ रहे संघ के मतभेद दूर कर संघ में एकता स्थापित की । सं. 2009 का चातुर्मास भी भीनमाल में ही सम्पन्न किया । सं. 2010 का चातुर्मास मुनिराज श्री हेमेन्द्र विजयजी म. की जन्मभूमि बागरा में करने की स्वीकृति प्रदान की। यथा समय चातुर्मास के लिये मुनिराज श्री हर्षविजयजी म. अपने शिष्यों के साथ बागरा पधारे। समारोहपूर्वक आपका नगर प्रवेश हुआ । चातुर्मास के उपरान्त आपने बागरा से विहार कर दिया और गुमानुग्राम विहार करते हुए आप थराद पधारे, जहां आपके पावन सान्निध्य में उपधान तप की आराधना सम्पन्न सं 2012 का चातुर्मास ग्राम लुवाणा में अपूर्व धर्माराधना के साथ सानन्द सम्पन्न किया। इस समय मुनिराज श्री हर्षविजयजी म. का स्वास्थ्य कुछ अस्वस्थ दिखाई दे रहा था । थराद श्री संघ की हार्दिक इच्छा थी कि मुनिराज श्री हर्षविजयजी म. थराद में स्थिरता रखे । थराद श्रीसंघ की विनती को मान देकर आपने थराद की ओर विहार कर दिया। | देह तो नश्वर होती है । इसका कोई विश्वास नहीं कि कब विनाश को प्राप्त हो जावे । मुनिराज श्री हर्षविजयजी म. की देह दिन प्रतिदिन क्षीण होती जा रही थी । मृत्यु का कोई भरोसा नहीं कि कब आजावे । सामान्य व्यक्ति तो मृत्यु से भयभीत हो जाता है किंतु जो ज्ञानी होता है, योगी होता है, वह प्रसन्नता पूर्वक मृत्यु का स्वागत करता है । गुरूदेव का वियोग : मुनिराज श्री हर्षविजयजी म. सा. ज्ञानी थे, योगी थे, तपस्वी थे। उन्हें अपनी मृत्यु का कोई भय नहीं था । उन्हें अपने अंतिम समय का अहसास हो गया और वे मृत्यु का स्वागत करने की तैयारी में लग गये । आप थराद पधार चुके थे । आपकी अस्वस्थता के समाचार चारों ओर प्रसारित हो चुके थे । फलस्वरूप समीपस्थ ग्राम नगरों के साथ ही अहमदाबाद, मुम्बई, मध्यप्रदेश, मारवाड़ आदि के विभिन्न ग्राम नगरों के गुरुभक्त उनके अंतिम दर्शनों के लिये आ रहे थे । सं. 2013 ज्येष्ठ कृष्णा नवमी तदनुसार दिनांक 21-6-1957 को मुनिराज श्री हर्षविजयजी म.सा. का स्वर्गवास हो गया। आपके स्वर्गवास से आपके शिष्यों तथा गुरुभक्तों में शोक की लहर फैल गई । एक तपस्वीरत्न को समाज का वियोग हो गया । विशेष : पू. मुनिराज श्री हर्षवियिजी म.सा. के कर कमलों से मुनिराज श्री हेमेन्द्रविजयजी म. के अतिरिक्त निम्नांकित पुण्यवानों ने भी दीक्षा व्रत अंगीकार किया था - 1. मुनिराज श्री विमलविजयजी 2. मुनिराज श्री नीतिविजयजी म. 3. साध्वीजी श्री हीराश्रीजी म. 4. साध्वीजी श्री भुवनप्रभाजी म. 5. साध्वी श्री दर्शनश्रीजी 6. साध्वी मनरंजन श्रीजी 7. साध्वी लब्धिश्रीजी in Education internal हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 24 हेमेन्द्र ज्योति ज्योति amelibre/19
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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