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________________ 56 श्रद्धांजलि गीत गुरुदेव का चमत्कार घनश्याम जैन रतन चंद जैन (गुरुभक्त संगीतकार लाला घनश्याम जी के यों तो कई गीत (प्रस्तुत संस्मरण गुरुदेव आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ अच्छा न होगा कि हम उनके पास चलें। लाला शांतिस्वरूप जी गुरुप्रेमियों की जबान पर हैं किन्तु प्रस्तुत गीत सर्वाधिक सूरीश्वर जी म.सा. के जीवन काल की उस चमत्कारिक घटना से महाराज साहब के पास जाकर बैठ गए। महाराज श्री सो रहे थे सामयिक मार्मिक एवं प्रसिद्ध है जिसे उन्होंने बम्बई के आजाद जुड़ा है जो समस्त गुरु भक्तों को एक कहानी के रूप में ज्ञात है। जब करवट बदली तो बोले कौन है। शांति स्वरूप जी ने सारी मैदान में पूज्य गुरुदेव विजय वल्लभ सूरि जी म.सा. के उस घटना के भुक्त भोगी लाला घनश्याम जी हैं और उसका घटना बताई और कहा कि हम इनके माता-पिता को क्या उत्तर स्वर्गारोहण के बाद आयोजित विशाल श्रद्धांजलि सभा में गाया वर्णन प्रत्यक्षदर्शी लाला श्री रतनचंद जी जैन कर रहे हैं।) देंगे। घनश्याम जी पहली बार ही महाराज साहब के दर्शनों के था)-सम्पादक -सम्पादक लिए गए थे। महाराजजी उठकर बैठ गए और कुछ क्षण ध्यान यह सन् 1949 की बात है। आचार्य विजय वल्लभ सूरि जी लगाकर वासक्षेप दिया और कहा-"इसमें से कुछ सिर पर व कुछ जाएं तो जाएं कहाँ ? गुरु दर्शन बिना चैन नहीं, महाराज साहब की चातुर्मास पालीताणा में था। हम सब मित्र मुंह में डाल दें, जो गुरु महाराज करेंगे ठीक होगा।" तेरे बिना कौन यहाँ? ज्येष्ठ शुदि अष्टमी को विजयान्द सूरि जी महाराज की वासक्षेप लाकर घनश्याम जी के सिर पर और मुंह में डाल दिया गया और आश्चर्य की बात कि घनश्याम भाई के शरीर में स्वर्गारोहण तिथि मनाने गए हुए थे। वहां अचानक जो घटना गुजरात से मिला था लाल यह प्यारा पंजाबियों की आंखों का तारा। हमारे सामने घटी उसे मैं रतन चंद अर्ज कर रहा हूँ। हलचल होने लगी। हम लोगों में भी उस गमगीन माहौल में एक खुशी की लहर दौड़ गई। गुरुदेव की ऐसी मेहरबानी देख मस्तक समारोह के पश्चात् लाला रतनचंद बरड़ जो नाहर बिल्डिंग कहाँ है वो देव महान? आप ही आप झुक गया आँखों में खुशी के आंसू आ गए। हमने | में रहते थे। उन्होंने अपने यहाँ चल कर दूध पीने का आग्रह किया आतम रुठे वल्लभ रुठे, जैन धर्म के दो मोती लूटे उस समय लगभग 11.30 बजे थे। हम सब मित्र उनके यहाँ जाने तुरंत डाक्टर से कहा कि इसमें तो अभी प्राण बाकी है आप वीर हमारा कौन यहाँ?.. लगे। रास्ते में मारवाड़ी धर्मशाला बन रही थी और बहुत कोशिश कीजिए। वह उनको आपरेशन थियेटर में ले गया जहाँ वल्लभ गरु तेरा नाम है प्यारा, तम बिन मेरा कौन सहारा कूड़ा-कचरा बिखरा हुआ था। उस समय हल्की बूंदा-बांदी हो उनको उल्टी हुई इस पर डाक्टर ने कहा कि अब कोई खतरा नहीं तुम ही तो थे देव महान। . रही थी। उस ढेर में एक साँप बैठा था। घनश्याम भाई का पांव है। थोड़ी ही देर पश्चात् उनको होश आ गया। आतम के थे तुम दीवाने, वल्लभ के हैं हम परवाने कड़े के ढेर पर पड़ा और उस सांप ने डस लिया घनश्याम रोने जब तक घनश्याम भाई बेहोश थे हमारे प्राण अधर में लटके ढूढ़े कहाँ और जाए कहाँ।... लगा। मैंने कहा-भाई हमें रोकर मत डराओ. चलो डाक्टर के रहे उनके होश में आते ही सारी चिंता दूर हो गई। हमने घनश्याम छोड़ गए हमें वल्लभ प्यारे, अब हम जियें किसके सहारे? पास चलते हैं मैंने टांग का ऊपर का हिस्सा कस कर रुमाल से भाई से पूछा-"क्या आप अस्पताल में रहेंगे या गुरु महाराज के किसको सुनाएं गमे दास्तां।. बांध दिया ताकि जहर ऊपर न चढ़े, और हम मित्र उनको पास चलेंगे।" उन्होंने कहा-"मैं अब बिल्कुल ठीक है मैं गुरु किसको सुनाएं गम का फसाना, याद में रोए सारा जमाना, उठाकर अस्पताल की तरफ ले चले। डाक्टर ने अपना इलाज चरणों में ही रहूँगा।" बरबाद है अब सारा जहां।।... करने के बाद अपनी असमर्थता जाहिर की कि अब कुछ नहीं हो सुबह घनश्याम भाई का पांव सूजा हुआ था जरा सा भी छूने वल्लभ आओ वल्लभ आओ, इक बार फिर दर्श दिखाओ। सकता और उन्हें बरामदे में डाल दिया। बाहर बहुत लोग इकट्ठे पर चिल्लाते थे। हमने पूछा कि क्या आप दादा के दरबार में तुम थे यहाँ और हम थे वहाँ।।... हो गए थे। किसी ने कहा कि यहाँ से लगभग 20 मील की दूरी पर चलोगे तो उन्होंने कहा कि अवश्य चलूँगा। हमने डोली की और जब तक सूरज चांद सितारे, अमर रहोगे वल्लभ प्यारे। सांई बाबा है उन्हें ले जाकर दिखाओ वह जहर उतार देगा। हमने उसमें उनको बिठा कर ऊपर ले गए। उसके बाद घनश्याम भाई घनश्याम को ले लो अपने वहाँ।... श्री फूलचन्द तम्बोली की गाड़ी निकलवाई तो इतने में ध्यान दो तीन साल तक अस्वस्थ रहे परन्तु गुरुनाम को जपते रहे और आया कि जब हमारा साई बाबा यहाँ उपस्थित है तो क्या यह स्वस्थ हो गए।. www.jainelibrary.orm
SR No.012062
Book TitleAtmavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagatchandravijay, Nityanandvijay
PublisherAtmavallabh Sanskruti Mandir
Publication Year1989
Total Pages300
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size55 MB
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