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________________ दुनिया के आराम से न मोहब्बत है और न उसके लिए दिल में ख्वाहश है। आपकी इल्मी खिदमात : विद्यालयों और गुरुकुलों का एक मुनज़म सिलसिला आपकी इल्म दोस्ती का खुला हुआ सबूत है, जो हमें मजबूर करता है किसक अकीदत के फूल आपकी खिदमत में पेश करें और हमें यकीन है कि आज़नाब की बुलन्द पाया नसीहतें हमें और अहले शहर के लिए सच्ची रहनमाई का मजब होंगी। हमें यह मालम है कि जनाब एक खास मजहबी जमायत- यानी जैन महजब से ताल्लुक रखते हैं, जो अपने अमल के लिहाज से हिन्दुस्तान की सबसे बेज़रर जमायत है। दर हकीकत मजहब की रुह भी यही है कि इन्सान को दरिंदगी से दूर रखे और उसके इखलाक को रूहानियत के नुकताए निगाह से रोशन करे “मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर रखना, हिन्दी हैं हमवतन हैं हिन्दोस्तां हमारा।" इसलिए हम पूरा यकीन रखते हैं कि जनाब के तशरीफ लाने से शहर के मुखतलिफ फिरकों में प्रेम की रूह फूंकी जाएगी और सब लोग आपस में भाइयों की तरह रहना सीखेंगे। आप हमारी इज्जत व एहतराम के इस नज़राना को कबूल फर्माइये। हम हैं आपके खिदमतगुजारमेम्बरान म्युनिसीपल कमेटी, गुजरांवाला वास्तविक शिक्षा “वास्तविक शिक्षा वही है जो चरित्र निर्माण की प्रेरणा दे। शिक्षा से विद्यार्थी शुद्ध एवं आदर्श जीवन वाला बने। उससे मानवता करूणा और प्राणिमात्र के लिए मैत्री भावना हो। ऐसे विद्यार्थी ही समाज के हीरे होते हैं।" .. वल्लभ विजय विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका 179 Jan Education internallonal For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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