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________________ इस सारी स्पैशल यात्रा ट्रेन की भोजन व्यवस्था देख-रेख आदि का प्रबन्ध श्री सिकंदर लाल जैन एडवोकेट, जो महासमिति के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और जिन्हें निवर्तमान गच्छाधिपति श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वर जी महाराज जी ने 'यात्रा-वीर' की पद्वी से अलंकृत किया हुआ है। उनके सहयोगियों श्री देवेन्द्र कुमार जी कसूर वाले, श्री सुरेश कुमार जी पाटनी, श्री चन्द्र किरण जी, श्री विपन कुमार जी, श्री राजेश जी लिगा आदि ने बहुत ही कुशलता पूर्वक कार्य किया। श्री सिकंदर लाल जी एवं उनके साथियों का सेवाभावी होना सराहनीय व अनुमोदनीय, परमात्मा की भक्ति और गुरुभक्ति का परिचायक है। यात्रा का विस्तृत विवरण नैन्सी जैन जण्डियाला गुरु ने 'आंखों देखा हाल' का वर्णन इस प्रकार किया है : लुधियाना रेलवे स्टेशन पर स्पैशल यात्रा ट्रेन दिनांक 20.03.2004, सायं 6 बजे को फूलों से सजी हुई तैयार खड़ी थी। यात्री नियत समय पर आने शुरू हो गये। हर कोच के बाहर इन्चार्ज यात्रियों की सुविधा के लिये उन्हें डिब्बा क्रमांक तथा सीट क्रमांक बता रहे थे। भोजन करने के पश्चात् यात्रियों ने संघपति परिवार का बहुमान किया तथा ठीक समय सायं 7:45 पर ट्रेन मुम्बई भायखला के लिए रवाना हो गई। मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। 22 मार्च 2004 को सुबह 5 बजे हम मुम्बई पहुंच गये। 2 दिन का आवश्यक सामान लेकर बाकी सामान हमने ट्रेन में ही छोड़ दिया। उसके बाद बसों द्वारा हमने सेठ मोती शाह मन्दिर भायखला जाना था। बसों का क्रमांक एवं सीट क्रमांक हमें ट्रेन में ही दे दिया। हम लोग बसों द्वारा भायखला मन्दिर जी पहुंच गये। वहां पहुंच कर स्नान आदि करके पूजा-अर्चना की तथा नाश्ता करके मुम्बई भ्रमण के लिये बसों में बैठ गये। सबसे पहले भारत की मुख्य जगह Gate Way of India देखा उसके ठीक सामने मुम्बई का सबसे बड़ा होटल The Taj Hotel था, यहां पर यात्रियों ने बहुत सी तस्वीरें खींचीं। कई यात्रियों ने Boating भी की, वहां का दृश्य मनमोहक था। हम वहां से बालकेश्वर मन्दिर रवाना हुये, जहां पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा है, वहां पर रथ यात्रा भी पहुंच चुकी थी। सभी ने विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज के दर्शन किये, दोपहर का भोजन किया, फिर से बसों में बैठकर बाद दोपहर 3:30 बजे Hanging Garden गये। वहां से रवाना होकर हरे रामा हरे कृष्णा मन्दिर पहुंचे, मन्दिर जी में दर्शन वन्दन करके बसों द्वारा भायखला के लिए रवाना हुए। लगभग रात्रि 8 बजे हम मन्दिर जी पहुंच गये। भोजन करके भक्ति संगीत हुआ। यात्रियों ने भक्ति संगीत का आनंद उठाया। अगले दिन विजय वल्लभ रथ यात्रा समापन समारोह था जिसकी वजह से सभी यात्री जल्दी ही सो गये। सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि किया। मन्दिर जी में पूजा अर्चना, दर्शन-वन्दन किया। वहां पर समापन समारोह बड़ी धूमधाम से मनाया गया। उस मनमोहक दृश्य को देखकर मन प्रसन्नता से भर गया। हम सभी ने गुरु चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किए। उसके बाद रेलवे स्टेशन की तरफ रवाना हुये। ट्रेन रेलवे स्टेशन से सायं 5 बजे बड़ौदा के लिये रवाना हुई। बड़ौदा पहुंच कर बसों द्वारा पावागढ़ तीर्थ के लिये रवाना हुये। पावागढ़ तीर्थ लगभग सुबह तीन बजे पहुंचे। सुबह 6 बजे स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा सेवा का यात्रियों ने लाभ उठाया। दर्शन-वंदन करने के बाद पालीताणा तीर्थ के लिए रवाना हुये। सायं 7 बजे पालीताणा तीर्थ की श्री पंजाबी जैन धर्मशाला पहुंचे यहां रात्रि भोजन की व्यवस्था थी। ____दिनांक 24.3.2004 प्रातः 4 बजे स्नान आदि करके पूजा के वस्त्र लेकर पालीताणा तीर्थ की यात्रा आरम्भ कर दी और पालीताणा तीर्थ पहुंच कर मन्दिर जी में पूजा अर्चना की और ठीक 2 बजे वापिस आना प्रारम्भ किया तथा सन्ध्या के भोजन के पश्चात् रात्रि 7:30 बजे पालीताणा तीर्थ को अलविदा कह दिया और फिर से यहां आने की आशा दिल में रखकर शंखेश्वर पार्श्वनाथ जी के विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका 115 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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