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________________ श्रावक-श्राविकाएं आबाल वृद्ध सभी जन झूमते नाचते हुए रथयात्रा के साथ चल रहे थे, बहुत बड़ी हाज़िरी थी उपाश्रय पहुँच कर वहाँ शोभायात्रा धर्मसभा में परिवर्तित हो गई गुरुदेव की प्रतिमा को हाल में लाया गया। महाराज श्री ने मंगलाचरण उच्चारण करके धर्मसभा का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि श्री संकल चन्द जी बगरेचा (जो श्री हींकार तीर्थ के ट्रस्टी हैं) दीप प्रज्ज्वलित किया। अध्यक्ष महोदय ने समारोह की अध्यक्षता की। गुरु प्रतिमा की वासक्षेप पूजा तथा माल्यार्पण का चढ़ावा बोला गया जिसमें वासक्षेप पूजा का लाभ शाह नथमल जी यशवन्त राय जी ने तथा माल्यार्पण का लाभ संघवी धनराज कुशल राज जी ने लिया। तत्पश्चात् धर्मसभा का संचालन करने के लिए मंत्री श्री पन्नालाल जी ने बगडोर सम्भाली। सुश्रावक श्री धर्मचन्द जी बिनाकिया, मुख्यातिथि श्री सांकल चन्द जी बगरेचा ने गुरुदेव की यशोगाथा का गुणगान किया। साध्वी जी महाराज ने अपने प्रवचन में गुरुदेव के उपकारों का स्मरण कराया। श्री निर्मल कुमार जी ने हृदयस्पर्शी भजन गाकर श्रोतागणों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साध्वी जी महाराज के मंगलपाठ एवम् गुरुदेव के जयकारों के साथ सभा सम्पन्न हुई। चैन्नई में विजय बल्लभ रथयात्रा का का अभूतपूर्व स्वागत दिनांक 13.03.2004 प्रातः 8 बजे विजय वल्लभ रथयात्रा का चैन्नई में शुभारम्भ बैंड-बाजे के साथ आराधना भवन से शुरू हुआ, श्रावक तथा युवक मण्डल अपनी क्तमे ब्वकम में थे। युवती मंडल, श्राविका मण्डल, सीनियर श्राविका मण्डल अपनी क्तमे ब्वकम में थे, वे बैलगाड़ी में बैठकर गुरु महाराज की महिमा का गान भजन-संगीत के माध्यम से कर रही थीं। "तन में बसा, मन में बसा रंग रंग गूंज रहा वल्लभ नाम । इससे प्यारा कोई न लगा रंग रंग गूंज रहा वल्लभ नाम ।। सब सुख है करने वाला, सब दुःख है हरने वाला | मन के मनोरथ को देखो पूरा यह करने वाला ।” विजय वल्लभ संस्मरण संकलन स्मारिका PUSG | इस शोभा यात्रा को वर्तमान पट्टधर आचार्य भगवन् के आज्ञानुवर्ती गणिवर्य श्री सूर्योदय विजय जी आदि ठाणा अपनी निश्रा प्रदान कर रहे थे। आराधना भवन में धर्मसभा का आयोजन किया गया, सर्वप्रथम गुरुवंदन हुआ पश्चात् गणिवर्य श्री सूर्योदय विजय जी के मंगलाचरण के बाद गुणानुवाद सभा शुरू हुई, श्रावकजनों ने अपने वक्तव्यों तथा सुमधुर भजनों के माध्यम से गुरु गुणगान किया। गुरु प्रतिमा की वासक्षेप पूजा एवम् माल्यार्पण का लाभ श्री हजारीमल जी दोसी ने लिया। गुणानुवाद सभा में श्री बाबू लाल जी मेहता भूतपूर्व अध्यक्ष, सुश्रावक श्री हजारीमल जी ने गुरु वल्लभ का गुणगान किया। श्री जूना मन्दिर के ट्रस्टी श्री हिम्मत लाल जी मरड़िया ने गुरुदेव के चमत्कारों और For Private & Personal Use Only 107
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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