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________________ गुजराती विभाग श्रद्धांजलि अने जीवन (१४) न्यायां भोनिधि श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी (श्री आत्मारामजी ) प्रवर्तक श्रीकान्तिविजयजी, मुनि श्रीचतुरविजयजी ४-५ मुनिश्री हर्षविजयजी, पंन्यास श्रीसंपत विजयजी ६-७ मुनि श्रीहंस विजयजी, आचार्य श्रीविजयललितसूरि ८ आचार्य श्रीविजयवल्लभसूरीश्वरजी, प्रवर्तक श्रीकान्तिविजयजी अने मुनिसमुदाय ( पाटण सं. १९८४) १ २ - ३ चित्र परिचय बृहत्तपागच्छान्तर्गत संविग्नशाखीय आद्याचार्य न्यायाम्भोनिधि श्री १००८ श्रीविजयानन्दसूरिपट्टप्रतिष्ठित आचार्यप्रवर श्रीविजयवल्लभसूरि महाराज ९ मुनि श्रीचतुरविजयजी, प्रवर्तक श्रीकान्तिविजयजी, आचार्य श्री विजयवल्लभसूरिजी मुनि श्रीहंस विजयजी, पं. संपतविजयजी (पाटण सं. १९८५) अमदावादमां मुनिसंमेलनमां एकत्रित थयेल मुनिसमुदाय (सं. १९९० इसवी सन १९३४) ११-१२ (१) ता. ७ थी ९ नवेंबर १९५२ ना रोज श्री महावीर जैन विद्यालयमां योजायेल संमेलन प्रसंगे विराजमान आचार्य श्रीविजयवल्लभसूरि अने मुनिमहाराजो (२) संमेलनना छेला दिवसे प्रवचन करता आचार्य श्री विजयवल्लभसूरि १० १३-१४ (१) संमेलनना छेला दिवसे श्री महावीर जैन विद्यालय तरफथी प्रमुख श्री मनसुखलाल ए. मास्तरने आवकार आपतां श्री खीमजी भुजपुरीभा आचार्यश्रीनी अनेकविध सेवाओने अंजलि आपी रह्या छे. Jain Education International (२) आचार्यश्री श्री महावीर जैन विद्यालयमां विराजमान होई ता. १५-१०-१९५३ ना रोज शेठ श्री कस्तुरभाई लालभाई वंदनार्थे आव्या ते प्रसंग लेख - संग्रह (५७) १ धरणाशा हे बंधावेल चतुर्मुख जिनप्रासादनुं गगनचुंबी शिखर, राणकपुर, १५ मी सदी २ धरणाशाह भने रतनाशाहे बंधावेल चतुर्मुख देरासरनुं भव्य प्रवेशद्वार, राणकपुर, १५ मी सदी For Private & Personal Use Only x x x eu ३६ ४० ४१ ४८ ४९ ५६ ५७ ६८ ६९ www.jainelibrary.org
SR No.012060
Book TitleVijay Vvallabhsuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Vidyalaya Mumbai
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1956
Total Pages756
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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