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________________ स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ 100000 88888888888888888888888888888888880 क्षेत्र में कौन किस दिशा में अधिक देख सकता है ? इस विषय में बतलाया गया है कि भुवनपति और व्यंतर देवों के उर्घ्य दिशा में अवघिज्ञान अधिक होता है। वैमानिक देवों के अवधिज्ञान अधो दिशा में तथा नारकी और ज्योतिषी देवों के तिरछी दिशा में अवधिज्ञान अधिक होता है। औदारिक शरीर वाले तिर्यंच और मनुष्यों के विविध प्रकार मे विविध दिशा में अवधिज्ञान अधिक होता है। जैसे कि किसी के उद्ध दिशा मे अधिक होता है तो किसी के अधो दिशा में तिरछी दिशा में अधिक होता है। मनुष्य और तिर्यंच के अवधिज्ञान वलयाकार भी होता है। देबलोक के देव अपने अवधिज्ञान द्वारा कितना क्षेत्र देख सकते है ? यह निम्नोक्त देखे : (१) सौधर्म और ईशान देवलोक के देव रत्नप्रभा नामक प्रथम नरक के निम्न भाग तक अवधिज्ञान द्वारा देख सकते हैं। (२) सनत्कुमार और महेन्द्र देवलोक के देव शर्करा प्रभा नामक दूसरी नरक तक देख सकते है। (३) ब्रह्म देवलोक और लातंक देवलोक के देव तीसरी वालुका प्रभा नामक नरक तक देख सकते है। (४) शुक्ल और सहसर देवलोक के देव चौथी पंकप्रभा नरक तक देख सकते हैं। (५) आनंत, प्राणत, आरण और अच्युत-इन चार देवलोक के देव पांचवी धूम प्रभा नामक नरक तक देख सकते है। (६) तीन नीचे के और तीन मध्य के छह ग्रैवेपक के देव तमः प्रभा नामक नरक तक देख सकते है। (७) ऊपर के तीन ग्रैबेयक के देव तमस्तम प्रभा नामक सातवीं नरक तक देख सकते है। (८) पांच अनुत्तर विमान के देव अपने अवधिज्ञान द्वारा सम्पूर्ण लोक नाडी देख सकते है सभी देवलोक में जैसे जैसे ऊपर के देवलोक विचार करे वैसे वैसे देव नीचे की और तिरछी दिशा में उत्तरोत्तर अधिक और अधिक क्षेत्र अवधिज्ञान द्वारा देख सकते है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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