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________________ स्वः मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ आयारो जब मनुष्य के दो विपरीत गुण-धर्मी प्रारूपों का उल्लेख करता है, तो क्या वह इनको पूर्णतः एकांतिक मानता है ? क्या मेधावी सदैव मेधावी और मंदमति पूर्णतः मंदमति ही रहता है ? स्पष्टतः मेधावी और 'मूढ़' एकांतिक प्रारूप नहीं हैं। आयारों में स्पष्ट दिखाया गया है कि मेधावी पुरुष भी किस प्रकार च्युत हो कर पुनः मंदमति या मूढ़ हो जाते हैं । उत्तरोत्तर आने वाले दुःसह परीषहों को सहन न कर पाने के कारण ( २३४/३२) वे अपना प्रयत्न द्वारा अर्जित किया हुआ मुनि - पद छोड़ देते हैं। इसी प्रकार मेधावी आरंभ से ही मेधावी नहीं होते। वे उत्तरोत्तर ही इस दिशा की ओर अग्रसर होते है । वस्तुतः मेधावी पुरुष ही मुनि है। मुनि का अर्थ है ज्ञानी। आयारो के अनुसार जो पुरुष अपनी प्रज्ञा से लोक (संसार) को जानता है वह मुनि कहलाता है। ऐसा व्यक्ति धर्मवित और ऋजु होता है - पण्णाणेहिं परियाणह लोयं मुणीति वच्चे, धम्मविउत्ति अंजु (११२ / ५) मुनि को 'कुशल' भी कहा गया है। कुशल का भी अर्थ है, ज्ञानी । कुशल अपने ज्ञान से जन्म-मरण के चक्र का अतिक्रमण कर पुनः न बद्ध होता है और न मुक्त होता है - कुसले पुणो वद्धे, णो मुक्के (१०६/१८२) । आत्मतुला-अंहिसक जीवन का रक्षाकवच ( तावीज़) यदि हम हिंसा के गति - विज्ञान से परिचित हैं तो हमें यह समझते देर नहीं लगेगी कि हिंसा के कारण हमारा संसार नर्क बन गया है। हिंसा एक ऐसी मानसिक ग्रंथि है जिसका मोह हम छोड़ नहीं पाते, और हमारी मृत्यु का वह कारण बनती है ऐस खलु गं एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णरए ( पृ० ११/२५) जिसने हिंसा में निहित इस आतंक और अहित को देख लिया है, उसे हिंसा से निवृत्त होने में समय नहीं लगेगा। लेकिन यह 'देखना ' कोरा बौद्धिक ज्ञान नहीं है । यह तो वस्तुतः एक आध्यात्मिक अनुभव है। जब तक कि हम अपने आप में अंदर से इस बात को नहीं समझते, हम बाहय जगत में व्याप्त हिंसा को भी नहीं समझ सकते। महावीर कहते हैं। - जो अध्यात्म को जानता है, बाहय को जानता है। जो बाहय को जानता है, वह अध्यात्म को जानता है । Jain Education International 2010_03 २२८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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