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________________ जीवन की प्रयोगशाला के प्रेरक प्रयोग दर्शन दिग्दर्शन भगवान महावीर से पूछा गया - 'जीवन का सत्य क्या है ?" भगवान महावीर ने कहा- तुम स्वयं सत्य को खोजो । 'उद्देस्सो पासगस्स णात्थि' सत्य दृष्टा के लिए कोई निर्देश नहीं है । व्यक्ति स्वयं जीवन सत्य को परखे, समझे और आगे बढ़े। जीवन-सत्य को समझने के लिए जीवन को समझना जरूरी है। जीवन की हर सांस को समझना अति आवश्यक है । आज के इस त्रासद दौर में व्यक्ति खंड-खंड जीवन जी रहा है। वह ऋतुचर्या के अनुकूल वर्तन नहीं कर पा रहा है। उसकी दिनचर्या और जीवनचर्या अस्त-व्यस्त हो रही है । - साध्वी अणिमा श्री यदि हमें आज नया मनुष्य पैदा करना है, तो मनुष्य के जीवन की शैली को बदलना होगा। जीवनधारा को नई गति देनी होगी । जीवन दीर्घ हो या लघु, यह महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है - 'कैसा जीवन जीया ?" जीवन की सार्थकता के हर पड़ाव को पूरा करने के लिए एक प्राणवान आलम्बन चाहिये और वह आलम्बन है जैन जीवन शैली । -- Jain Education International 2010_03 खतरों के बीच सन्तुलन से जीने वाला व्यक्ति अपनी जिन्दगी को नई पहचान दे सकता है, लेकिन आज मानसिक तनाव जिन्दगी के हर मोड़ पर व्यक्ति को पकड़े हुए है । मनुष्य जीवनभर शांति के लिए संघर्ष करता रहता है लेकिन जव तक उसने स्वयं में बदलाव घटित नहीं किया, जीवनशैली का परिष्कार नहीं किया तब तक आनन्द व शान्ति उसके लिए अप्राप्य ही रहेंगे । व्यक्ति जहां भी रहे, जिसके साथ रहे, सिमट कर न रहे। अपने जीवन के हर पल का सार्थक उपयोग करने एवं प्रसन्नता से दामन भरने हेतु गुरूदेव श्री तुलसी द्वारा प्रदत्त जैन जीवन शैली के नौ सूत्रों को जीने की प्रयोगशाला में प्रायोगिक रूप दे। २०३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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