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________________ दर्शन दिग्दर्शन आचार्य के निश्रित उपकरणों से यदि शिष्य का अनुचित स्पर्श हो जाए, उनके पैर लग जाए, ठोकर लग जाए तो वह बद्धांजलि और नत मस्तक हो निवेदन करे कि भगवन ! मेरे अपराध के लिए क्षमा करें। भविष्य में मैं ऐसा अपराध न करने का संकल्प करता हूं।' पूज्य की परिभाषा करते हुए कहा गया है - 'आलोइयं इंगियमेव नच्चा जो छन्द माराहयइ स पुज्जो'। विनीत शिष्य गुरु द्वारा निर्दिष्ट कार्य करता ही है, पर इसी में उसके कार्य की इतिश्री नहीं हो जाती। वह गुरु के निरीक्षण तथा इंगित को देखकर उनके अभिप्राय को समझ लेता है और कार्य-सम्पादन में जुट जाता है। आलोकित से कर्तव्य बोधः जैसे- सर्दी के समय में आचार्य वस्त्र की ओर देखते हैं तो विनीत शिष्य समझ लेता है कि आचार्यवर शीत से बाधित हैं, उन्हें वस्त्र की अपेक्षा है। और वह झट उठ कर वस्त्र गुरु को दे देता है। इंगित से कर्त्तव्य-बोध : जैसे-आचार्य के कफ का प्रकोप है, दवा की आवश्यकता है। पर उन्होंने किसी को कुछ कहा नहीं, फिर भी विनीत शिष्य गुरु के मनोभावों को व्यक्त करने वाली अंगचेष्टा से समझ लेता है और उनके लिए सौंठ ले आता दशवैकालिक सूत्र में ऐसी और भी अनेक शिक्षाएं उपलब्ध हैं, जो सामूहिक जीवन-व्यवहार को सजाती-संवारती हैं तथा उसमें रस भरती हैं। यह तो हम पहले ही जान चुके हैं कि जीवन की अपूर्ण अवस्था में या साधना काल में निश्वय तथा व्यवहार परस्पर जुड़े हुए रहते हैं। निश्चय यदि शुद्ध आत्मतत्त्व है तो व्यवहार देह है। क्या सांसारिक आत्मा कभी देहमुक्त होकर रह सकती है ? व्यवहारशून्य निश्चय समूह-चेतना की दृष्टि से अनुपयोगी एवं अव्यवहार्य है और निश्चयविहीन व्यवहार जगत में भी वह हमारी मार्गदर्शिका है। प्रस्तुत निबन्ध में उसकी नैश्चयिक दृष्टि को गौण रखकर उसके व्यवहार पक्ष को उजागर किया गया है। महावीर का व्यावहारिक दृष्टिकोण साधु-संस्थाओं के लिए ही नहीं, पारिवारिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में भी बहुत उपयोगी हो सकता है। काश ! मनुष्य उसे समझकर आत्मसात कर पाता। १. वही - ६/२/१८ T ) १६६ ( ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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