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________________ स्व:मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ । व गैर सरकारी जो भी कार्यवाही करनी होती, विना किसी प्रकार का विलम्ब किए क्रियान्वित करते। समाज के दिग्गज व शीर्षस्थ लोग तो सोचने में ही अपना समय लगा देते, निर्णय लेते लेते तो बहुत सा समय लगा देते या सोचते ही रहते, तब तक बांठियाजी कार्यवाही कर चुके होते। उनकी यह तत्परता ही सफलता की घोतक बनी। जैन भारती के वे वर्षों तक सम्पादक रहे। उनकी सम्पादकीय व सम्पादन बेजोड़ था। कार्यकर्ताओं के लिए तो वे ढाल की तरह थे। कार्यकर्ताओं की गलतियों को अपने सर पर ओढ़ लेते थे व उनकी सफलता का सारा श्रेय कार्यकर्ताओं को ही देते। इस कारण उनके नेतृत्व में अनेक कार्यकर्ता पनपे व आज भी वे शासन की सेवा में लगे हुए हैं तथा विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं तथा कर रहे हैं। जैन सभा से वे जीवन पर्यन्त जुड़े रहे। समन्वय व एकता का स्वरूप शाश्वत रहे। इस प्रयास में रहते विभिन्न सम्प्रदायों की इन संस्थाओं के कार्यकर्ता परस्पर बडे स्नेह से मिलते, विवादों से परे रहकर जैन सभा को आगे बढ़ाने में आपका महत्वपूर्ण योग रहा। स्वः जब्बरमलजी भंडारी जोधपुर आपके अनन्य सहयोगी रहे । आपने जैन दर्शन समिति की स्थापना काल से ही समिति द्वारा प्रकाशित होने वाले ग्रंथो के लिए अर्थ की व्यवस्था कर उल्लेखनीय सहयोग दिया। सम्प्रति आपके सुपुत्र श्री गुलाबमल भंडारी जैन दर्शन समिति के अध्यक्ष पद पर अपनी उल्लेखनीय सेवाए दे रहे है। अनेक वषों से कार्यकर्ता अनुभव कर रहे थे कि स्व. बांठियाजी की विशेषता को लक्ष्य में रखकर उनके जीवन पर स्मृति ग्रंथ निकाला जाये। जैन दर्शन समिति के वे संस्थापक थे। इससे यह निर्णय लिया गया कि इस संस्था के अन्तर्गत 'मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रंथ' प्रकाशित किया जाए और इस निर्णय की क्रियान्विती का ही सुफल है कि आज यह ग्रंथ प्रकाशित हो सका। अन्त में मैं जैन दर्शन समिति के अध्यक्ष श्री गुलाबमल भण्डारी, मंत्री श्री पदमचन्द रायजादा, व समिति के समस्त सदस्यों व अर्थदाताओं का आभारी हूं जिनके हार्दिक सहयोग से यह ग्रंथ प्रकाशित हो सका। डा. सत्यरंजन बनर्जी ने इस ग्रंथ के सम्पादन में अपना योगदान दिया। उनको भी मैं धन्यवाद देता हूं । ग्रंथ के लिए जिन विद्वानों के लेख, संस्मरण व समीक्षा प्राप्त हुई हैं उनका भी में आभारी हूँ। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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