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________________ स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ कार्यकर्ताओं के प्राण - हीरालाल सुराणा अध्यक्ष प. बंग प्रादेशिक अणुव्रत समिति तेरापंथ धर्म संघ एक जीवन्त संगठन है। इस धर्म संघ में जहां दृढ़ धर्मी, लगन के पक्के, कार्यशील एवं साहसी अनेकानेक साधु साध्वी हुए हैं तथा आज भी हैं, वहीं इस संघ में कई जीवट के धनी, लगन के पक्के और अपनी सतत साधना से संघ की चतुर्मुखी प्रगति में अपना योगदान देने वाले श्रावक भी हुए हैं। उन श्रावकों में एक नाम श्री मोहनलालजी बांठिया का भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यद्यपि कुछ व्यक्ति अपने सामाजिक ऐश्वर्य एवं वंश परम्परा के कारण समाज एवं राष्ट्र में श्रद्धा, रुझान एवं आदर्श के पात्र बन जाते हैं वहीं कुछ व्यक्ति अपना जीवन साधारण स्थिति से प्रारम्भ कर अपनी लगन, अध्यवसाय, ईमानदारी, सतत जागरूकता तथा कठोर परिश्रम से धर्मसंघ समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना लेते हैं। श्री मोहनलालजी बांठिया भी इसी कोटि के लगन के पक्के पुरूष थे। जिस समय समाज में उच्च शिक्षा प्राप्त करना एक कठिन काम समझा जा रहा था एवं एक प्रकार से ऐसी ही एक धारणा बन चली थी कि ओसवाल अथवा मारवाड़ी का लड़का अधिक पढ़कर क्या करेगा, उसे तो अपने पैतृक व्यवसाय को ही चलाना है अथवा अपने जान-पहचान वाले के यहां नौकरी ही करनी है, उस समय बांठियाजी ने अपने परिश्रम से उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा साथ ही अपने धर्मसंघ के ग्रंथों का भी गहन अध्ययन किया। इस प्रकार प्राचीन एवं अर्वाचीन शिक्षा पद्धति के मेल से श्री बांठियाजी का दृष्टिकोण बड़ा ही व्यावहारिक बन गया। समाज-सुधारक :- भारत की आजादी के पहले एवं बाद में देश के नक्शे पर कलकते का एक सम्मानीय स्थान था तथा कलकते में भी मारवाड़ी समाज और ओसवाल समाज बदलाव की करवटें बदल रहा था। श्री बांठियाजी इस बदलाव, सुधार एवं विकास के लिए तड़फड़ाये हुए युवकों में से एक थे। उनका मारवाड़ी समाज के विशिष्ट > ११६ ( Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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