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________________ 999999999999999 88888888888 प्रेरक प्रसून बड़े दूरदर्शी तत्वज्ञ स्व. श्री मोहनलालजी बांठिया का स्मृति ग्रंथ प्रकाशित किया जा रहा है, प्रसन्नता की बात है। आप बड़े दूरदर्शी थे। जैन दर्शन, जैन वांग्मय, आगमवाणी का आपने शोधपूर्वक कार्य किया। अनेक ग्रंथ प्रकाशित हुए। अस्वस्थ स्थिति में होते हुए भी आप लेखन कार्य में जागरुक रहे। लक्ष्य के प्रति अपनी विश्वसनीयता को अक्षुण्ण रक्खा। आप तेरापंथी आम्नाय में रहते हुए भी सर्व धर्म समन्वय की सब पर छाप छोड़ी। मेरा उनसे अटूट सम्बन्ध रहा। ऐसे महान व्यक्ति के प्रति स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन एक धरोहर के रूप में रहे, यही मेरी शुभकामना है। - विजय सिंह नाहर भूतपूर्व सदस्य, पश्चिम बंगाल विधान सभा योग्य निर्देशक श्रद्धेय श्री बांठियाजी ने साधारण कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें कार्यकर्ता की श्रेणी में ला खड़ा किया। उनके कार्यकाल में अनेक युवकों ने प्रशिक्षण लिया व समाज में अपनी सेवाएं अर्पित कर रहे हैं। मैंने भी उनके योग्य निर्देशन में कार्य किया। उनमें न तो अहंकार था, न ही पदलिप्सा। अपने कार्य के प्रति समर्पित रहकर वे जीवन पर्यन्त लेखन कार्य में लगे रहे। ऐसे जीवन्त कुशल शिल्पी के लिए स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन एक अनुकरणीय प्रयास है। - बच्छराज सेठिया सदस्य जैन दर्शन समिति 633860322328888868800383333832 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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