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________________ स्वः मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ संस्थाओ के प्राण स्व. मोहनलालजी बांठिया की स्मृति में ग्रन्थ प्रकाशन का जो निर्णय लिया गया है वह निश्चय ही प्रशंसनीय है । वे एक स्वयं निर्मित व्यक्ति थे । बाल्यकाल से ही कठिन आर्थिक परिस्थितियों से गुजरते हुए भी अपनी लगन एवं निष्ठा के बल पर ग्रेजुएट बने । तत्पश्चात कठिन परिश्रम के द्वारा अपना व्यावसायिक धरातल तैयार किया। आपका सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों से गहरा लगाव था । आप एक कर्तव्य परायण कार्यकर्ता थे । ओसवाल नवयुवक समिति, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी विद्यालय जैसी अनेक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर रहकर समाज की उल्लेखनीय सेवा की। आप सादगीप्रिय, सजग, विवेकशील एवं कर्मठ व्यक्ति थे। लेखनी के धनी एवं धुन के पक्के थे । हृदय रोग से पीड़ित होने के बावजूद २५ वर्ष तक महासभा एवं विद्यालय का मार्ग दर्शन करते हुए धार्मिक साहित्य सृजन में महत्वपूर्ण योगदान किया । ऐसे व्यक्ति की स्मृति में प्रकाशित होने वाला ग्रन्थ प्रेरक बनेगा । सार्दुल सिंह जैन मंत्री, ओसवाल नवयुवक समिति, कलकता Jain Education International 2010_03 १०४ For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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