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________________ स्वः मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ से सराबोर हो गया । भिक्षु शासन जयी है। उसके उत्तरवर्ती आचार्य पुण्यशाली हैं। यह सिद्ध हो गया तथा यह भी चरितार्थ हुआ कि संस्था के पदाधिकारी निर्भय होकर कुशलता के साथ कार्यवाही करें तो निःसन्देह विजय तो होनी ही है । न्यायालय का यह निर्णय महासभा के इतिहास में यह स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हुआ। श्री बांठियाजी ने केवल श्रम ही नहीं किया, वरन सूझबूझ व मामले की तह में पहुंचकर पैरवी की, उसी का सफल परिणाम निकला । श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी विद्यालय के विकास में भी आपका महत्वपूर्ण प्रयास रहा। महासभा व विद्यालय में नए भवन-निर्माण को लेकर वषों से विवाद था। आपने इसे सुलझाने का भरसक प्रयास किया, पर संयोग की बात है यह फलीभूत न हो सका । पर संस्थाओं के कार्यकर्ताओ में परस्पर मैत्री भाव में कमी न आने दी । स्व. बांठियाजी की विद्वता से परमाराध्य आचार्यप्रवर काफी आकर्षित थे । उनके कर्तव्य के प्रति अनेकों बार अपने उदगार प्रकट किए। रायपुर में उन्होंने जो कर्तव्य निर्वहन किया उस विषय में गुरूदेव ने अपने पद्यमय वर्णन किया । श्रमणी प्रमुखा कनकप्रभाजी द्वारा लिखित “आचार्य श्री तुलसी दक्षिणांचल में” ग्रंथ के पृष्ठ ६३२ में उल्लिखित आचार्य श्री तुलसी के उदगार " मांझी मोहन बांठियो महासभा अध्यक्ष निज कर्तव्य निभावियों विधि विधान में दक्ष । जबलपुर हाईकोर्ट स्यूं अग्नि परीक्षा ग्रन्थ अग्नि परीक्षा स्यूं तरयो निखरयो सवरण अन्त ।। 27 - उनको तत्वज्ञ श्रावक कहकर उनका मान बढ़ाया। बाद में उनकी प्रकाशित पुस्तकों के विषय में अनेक बार अपने सद विचार प्रकट किए जो इस पुस्तक में समीक्षा के खण्ड में दिये गए हैं । परमाराध्य आचार्यप्रवर के वे अन्तर्वासी थे । उनसे बराबर परामर्श लेते थे। जैन विश्व भारती की स्थापना के बारे में भी उनके सुझावों को महत्व दिया गया। परमाराध्य गुरूदेव को हैदराबाद मर्यादा महोत्सव पर आपने क्रिया कोष ग्रंथ की एक प्रति भेंट की । Jain Education International 2010_03 इस अवसर पर हैदराबाद में महासभा के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित एक शिक्षा परिसम्वाद गोष्ठी भी सम्पन्न हुई। श्री बांठियाजी, हिन्दुस्तान स्टैण्डर्ड के सहायक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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