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________________ डॉ० निज़ामउद्दीन १२८ आक्रमण न करे तुम भी उस पर आक्रमण न करो। उन्होंने मक्का पर विजय पाई तो अपने शत्रुओं से कोई बदला नहीं लिया, उन्हें अभयदान दिया । क्षमा वीरों का भूषण है - 'क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल है दिनकर ) ।" महावीर की क्षमा भी यही थी । वे अहिंसा की मूर्ति और क्षमा की प्रतिमा दोनों थे । पशु-पक्षियों पर, बेजबान जानवरों पर रहम करने की बात कुरान और हदीस में बार-बार कही गई है । पैगम्बर साहब का फरमान है - बेजबान जानवरों के मामले में अल्लाह का तकवा करो, उन पर सवारी करो जब वे अच्छी दशा में हों और उनको बतौर खुराक प्रयोग में लाओ जब वे अच्छी दशा में हों ।" अबूदाऊद कहते हैं, एक व्यक्ति को इसलिए बख्श दिया गया कि उसने एक प्यासे कुत्ते के प्राण बचाये, अपने मोजे में पानी भर कर उसे पिलाया और इसके विपरीत एक नमाजी स्त्री को इसलिए नहीं बख्शा गया कि उसने बिल्ली को बन्द करके भूखा-प्यासा मारा । (१) बुरे इरादे से पशु को, मनुष्य को रस्सी से बाँधना, पालतू पशु को ऐसे बाँधना कि आग लगने पर भी प्राणरक्षार्थ भाग न सके । (२) डंडे या कोड़े से निर्ममता से मारना । (३) निर्दयता से हाथ-पैर काटना । (४) क्रोधावेश में पशु या मनुष्य को उसकी सामर्थ्य से अधिक भार डालना, अधिक काम लेना बुरा है । उनसे उचित समय पर काम लेना चहिए और उचित आराम देना चाहिए । (५) उनका खाना-पीना नहीं रोकना चाहिए, ऐसा न हो कि उनकी जान निकल जाए । (६) दूसरों को पहले खिलाना चाहिए । (७) पड़ोसी के साथ सद्व्यवहार करना चाहिए । (८) नौकर को भी वही खिलाये, पहनाये जो मालिक स्वयं खाता-पीता है । ऐसा करने से समता भाव आयेगा और वैर-भाव समाप्त होगा । (हदीस) एक बार एक व्यक्ति पैगम्बर मुहम्मद साहब के उसने जंगल में पक्षियों के बच्चों का स्वर सुना तो उन्हें फड़फड़ाती आई । हुजूर ने फरमाया कि उन्हें गठरी पहुँचाओ । उस व्यक्ति ने वैसा ही किया । से सामने उपस्थित हुआ और कहा कि पकड़ लिया, उनकी माँ पीछे-पीछे निकालो और उनकी माँ के पास पैगम्बर साहब का आदेश है कि मजदूर को पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी दो । जब उन्होंने ऐसा कहा तो इसके पीछे भी अहिंसा का भाव छिपा है यानी मजदूर का दिल नहीं दुःखाना चाहिए जरा-सी देर के लिए भी । उन्होंने दासप्रथा को इसलिए खत्म कराया कि दासों के साथ बहुत अन्याय तथा अत्याचार होता था, अमानवीय व्यवहार किया जाता था । उन्होंने मिस्कीनों, यतीमों को उनका हक देने का आदेश दिया, यह सब अहिंसा की श्रेणी में आयेगा । कम तोलना, किसी का हक मारना, चीजों में मिलावट करना सब हिंसा के काम हैं, आर्थिक शोषण यही है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012051
Book TitleParshvanath Vidyapith Swarna Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ashok Kumar Singh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages402
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size23 MB
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