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________________ मर्तुम नवाब साहिब पालनपुर का शताब्दीनायक के . . साथ का परिचय । मर्हम नवाब साहिब पालणपुर का शताब्दीनायक के साथ बहुत अच्छा परिचय था, आपको साधु-महात्माओं पर प्रेम और विश्वास था । शताब्दी कार्य के कर्णधार श्री विजयवल्लभसूरि के प्रतिभी हार्दिक प्रेम रखते थे. सं० १९६६ में आपने कलकत्ता निवासी भंवरलाल (विचक्षणवि) को दीक्षा दीथी उसमें पालणपुर के नवाब साहिब भी पधारे थे-आपने भंवर लाल की माता से कहा “ तुमारा लड़का फकीर होता है तुम को इसका कुछ दुःख नहीं है ? " माताने जवाब दिया " इसमें दुःख किस बात का ! मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा बेटा आज प्रभु के चरणों में लीन हुआ है ! और इसने इस असार संसार को छोड दिया है !" यह सुनकर नवाब साहिब बहुत बुश हुए और सब के साथ नवदीक्षित के ऊपर वासक्षेप डाल कर आनंदित हुए ! ___ इसी तरह विद्यमान नवाब साहिब का भी प्रेम बना हुआ है। सं० १९८९ के पालणपुर के चौमासे में आप का आचार्य महाराज के साथ कई दफा मिलाप हुआ ! शताब्दी का जिकर चलने पर आपने बड़ी खुशी प्रकट की और कहा कि यदि शताब्दी महोत्सव पालणपुर में किया जाय तो बहुत अच्छा होवे राज्य से हरएक जात की सहूलियत मिल सकेगी ! परंतु शताब्दी महोत्सव पंजाब, पालणपुर, पाटण, बम्बई, अहमदाबाद सबको छोड बड़ौदा ही में हुआ ! __ आप को बड़ौदा से निमंत्रण भेजा गया था परंतु कार्यवश आप नहीं पधार सके ! तो भी नगरसेठ चीमनभाई आदि की मारफत आपने अपनी सहानुभूति प्रकट की और शताब्दी फंड में अच्छी रकम भेट की । ( ललितमूरि.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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