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________________ पल्लीवाल गच्छ पट्टावली ग्रंथाग्रः ३१२१ सोलंकी उदालिखितम् । मुं. हीराणंद अपरनाम मझाहाकस्येदि कल्प. पुस्तकं । इदं । चौबोली चौपs आदिः - श्री जिनवर चरणै नमी, समरी सरसती माय । सदगुरु नाम हिये धरी, गाइसु विक्रमराय •: १९६ : चोबोली राणी तणो, ए छै सरस सम्बन्ध 1 कविजन मुखथी सांभल्यो, तिम हूं कहिसुं प्रबंध ॥ २ ॥ X X अंतः --- पलीवाल विरुदे प्रसिद्ध, चंद्र गच्छ सुपहाण । सूरि महेसर पाटघर, तेजै दीपइ भाण X Jain Education International तासु पटोर सूरिवर, श्री अजितदेव सूरंद । तासु पसायै हर्षधर, पभणै हीरानंद ॥ १ ॥ इति श्री चोबोली चौपइ संपूर्ण समाप्तं ॥ संवत १७७० वर्षे । मिति कार्तिक सुदि ७ सप्तमी तिथौ गुरुवासरे श्री बीलाडा नगरे मध्ये । पं. लाखणसी लिखितं । श्रीरस्तु | || 6 || इस प्रकार पल्लीवाल गच्छ के विषय में यथासाध्य खोजशोधद्वारा उपलब्ध प्रमाणोंद्वारा प्रकाश डालने का प्रयत्न किया गया है । विद्वद्गण और भी विशेष ज्ञातव्य प्रगट करने की शीघ्र कृपा करें यही विज्ञप्ति है । ॥ ८ ॥ For Private & Personal Use Only स्रग्धरावृत्तम् अन्तौ विश्ववंद्य विबुधपरिवृढैः सेव्यमानांहिपद्माः सिद्धा लोकान्तभागे परमसुखघनाः सिद्धिसौधे निषण्णाः । पंचाचारप्रगल्भाः सुगुणगणधराः शास्त्रदाः पाठकाश्च, सद्धर्मध्यानलीनाः प्रवरमुनिवराः शश्वदेते श्रिये स्युः ॥ अज्ञानतिमिरभास्कर का आदि मंगलाचरण. [ श्री आत्मारामजी www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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