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________________ श्रद्धाञ्जलि जैनेतर धर्म में जन्म लेकर भी सत्यप्रिय थे कि अपनी किशोर वय में ही मायावी संसार का त्याग कर जैनधर्म (स्थानक ० वि० सं. १९१०) में दीक्षित हुए । हे ज्ञानसागर ! आपश्री की जैसे तर्कशक्ति और संशोधनबुद्धि अपार थी वैसे ही आप निडर भी थे। आप गड़री प्रवाह में रहते हुए भी एक सच्चे शेर थे। आप गतानुगति के उपासक नहीं पर जैन जैनेतर शास्त्रों के पूर्ण मर्मज्ञ भी थे, जिसका ही शुभ परिणाम है कि वीस वर्षों के सज्जड़ संस्कारों का संशोधन के पश्चात् स्थानकवासी मत का परित्याग कर आप ने १८ साधुओं के साथ संवेग पक्षी जैन दीक्षा का स्वीकार कीया और जनता को मुनि श्री ज्ञानसुन्दर बतला दिया कि सत्य इसका नाम होता है। हे धर्मप्रचारक वीर ! यों तो आप अपने चरणकमलों का स्पर्श से कई प्रान्तों की भूमि को पवित्र कर हजारों अबोध प्राणियों का उद्धार किया पर विशेष जननी जन्मभूमि का उद्धार करने में विशेष नामना हासल की कि पंजाब जैसे वीर प्रदेश में मूर्तिपूजक जैन समाज का सूर्य अस्ताचल की ओर प्रस्थान कर रहा था उस समय आप अनेक कठिनाइयां का सामना करते हुए भी प्रचण्ड प्रकाश की किरणें चारों ओर प्रसरित कर दी, इसलिये यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि उस रूढ़िवाद के जमाना में आप एक सच्चे सुधारक एवं धर्मप्रचारक थे। जगार हे करुणासिन्धु ! आपश्रीमानों ने अनेक स्थानों एवं अनेक बादियों के साथ शान्तिपूर्वक शास्त्रार्थ कर जैन धर्म का झंडा फरहाया जिसका ही मधुर फल है कि आज पंजाब प्रान्त में उच्चे उच्चे सिक्खरवाले जैन मन्दिर और उनके हजारों विद्वान भक्त विद्यमान हैं। हे कृपानिधि ! आपश्री ने हम पामर प्राणियों के लिये अनेक ग्रन्थों का निर्माण, कई मन्दिर मूर्तियों की अञ्जनशलाका–प्रतिष्ठाएँ, ज्ञानभण्डार और विद्याप्रचार करवाके कम उपकार नहीं किया है कि जिसको हम किसी हालत में भूल सके ? इतना ही नहीं पर भारत में रहकर अमेरिका तक जैन धर्म का संदेश पहुँचा दिया कि आज यूरोप, अमेरिका और जर्मन जैसे १८०:. [ श्री आत्मारामजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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