SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 511
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [श्री देवकुमार जैन-' भारतीय ' अध्यापक __ श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल, गुजरांवाला ] माचार सुनो सब विजयानंद आदेश । क्रोध मोह मद लोभ तजो सब, रखो कपट न द्वेष । | मैत्रीभाव जगत में भरदो, रहे न शत्रु अवशेष ॥ सुनो सब० ॥ बैराका उद्धार करो तुम, देकर शुभ उपदेश । पापी जन को भूल सुझादो, घृणा न हो लवलेश ॥ सुनो सब० ॥ (३) पाप कार्य से सदा बचो सब, उर में भक्ति जिनेश । प्रेम-सूत्र से जग को बांधो, बनो उदार विशेष ॥ सुनो सब० ॥ ) इंद्रिय-दमन कर वीर बनो तुम, तजो राग भय द्वेष । विपदाओं में समचित्त होओ, धैर्य रखो सविशेष ।। सुनो सब० ॥ DEISMENT सद्भाव अहंकार तजो सब, रखो प्रमाद न लेश । सच्च वीर-उपासक होओ, सम्मुख वीर-संदेश ॥ सुनो सब० ॥ (६) सादा रहन चलन भोजन हो, देशी वस्त्र अरु वेष। धर्म समाज देशसेवा में, हो मन लग्न हमेश ।। सुनो सब० ॥ हिन्दी राष्ट्रभाषा सब मानो, अहिंसा वीरादेश । " भारतीय" सूरीच्छा अंतिम, हो स्वतन्त्र मम देश । सुनो सब विजयानंद आदेश । .: १७४. [ श्री आस्मारामजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy