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________________ जैन धर्म और लोकभ्रान्ति मरजोहरणा भैक्षभुजो लुञ्चितमूर्द्धजाः । श्वेताम्बराः क्षमाशीला निःसंगा जैनसाधवः लुञ्चिताः पिच्छिकाहस्ताः पाणिपात्रा दिगम्बराः । ऊर्ध्वाशिनो गृहे दातुर्द्वितीयाः स्युर्जिनर्षयः भुंक्ते न केवल न स्त्री मोक्षमेति दिगम्बराः । प्राहुरेषामयं भेदो महान् श्वेताम्बरैः सह ॥ १ ॥ ॥ ३॥ भावार्थ:: - सदा रजोहरण * ( ओघा ) अपने साथ रखनेवाले, भिक्षा मांगकर खानेवाले, केशों का लोच करनेवाले ऐसे क्षमाशील संगरहित श्वेताम्बर जैन साधु होते हैं ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ केशों का लोच और मयूरपंख आदि की पीछी हाथ में रखनेवाले और भिक्षा देनेवाले के घर में खड़े ही खड़े भोजन करनेवाले तथा हाथ ही जिन का पात्र है ऐसे दूसरे प्रकार के दिगम्बर जैन साधु हैं ॥ २ ॥ (केवली न भुंक्ते ) - केवली तत्त्वज्ञानी भोजन नहीं करता और ( स्त्री मोक्षं न एति ) - स्त्री मोक्ष को प्राप्त नहीं होती ऐसे ( दिगम्बराः प्राहुः ) - दिगम्बर लोक कहते हैं (श्वेताम्बरैः सह ) वेताम्बरों के साथ ( एषां ) इनका - दिगम्बरों का ( अयं ) यह ( महान् भेदः ) बड़ा भेद है ||३|| इसका भावार्थ यह है कि जैन धर्म की वेताम्बर और दिगम्बर इन दों शाखाओं में बड़ा भारी फर्क इतना ही है कि श्वेताम्बर लोग केवली - केवलज्ञानी का भोजन करना और चारित्र के पालने से कर्मक्षयद्वारा स्त्री का मुक्त होना मानते हैं, परन्तु दिगम्बर लोग इन दोनों बातों को स्वीकार नही करते । Jain Education International अस्तु अब सिंहजी और सूरिजी का इन उपर्युक्त श्लोकों का किया हुआ अर्थ देखिये --- अर्थ करते हैं -“ धूलि से प्रथम श्लोक में आये हुए “ सरजोहरणा " का ये सज्जन यह लिप्त अर्थात् स्नानादि न करने से देह में सदा मैल भरा रहता है । दोनो ही संस्करणों में एक-सा पाठ है, अस्तु | अब तीसरे श्लोक का दोनों सज्जनों का किया हुआ अर्थ सुनिये ! 19 x श्वेताम्बर साधु इसको सदा अपने पास रखते है। जहांपर भी बैठते हैं इससे उस स्थान को पहले साफ कर लेते है । यह साधु के उपकरणों में से एक है। आम लोग इसको जैन साधुओं की बगल में चलते वक्त रक्खा हुआ देखते हैं । • १५४ : For Private & Personal Use Only [ श्री आत्मारामजी www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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