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________________ सूरीश्वरजी के पूनीत नामपर स्कूल की बिल्डिंग खरीद ली गई, और स्कूल के फण्ड में कमी आने से कार्य शिथिल हो गया लेकिन उत्साही समाज सेवकों ने उस कार्य को फिर सम्हाल लिया। बाबू दीपचन्द जी ने दो वर्ष तक वहां निःस्वार्थ भाव से सेवा की, और प्रयत्न कर १९३२ में उसे मिडिल स्कूल में परिणत करा दिया, और अब वहां पर हाईक्लास की श्रेणियाँ भी खोल दी गई हैं, और कार्य अच्छी तरह चल रहा है। श्री आत्मानन्द जैन मिडिलस्कूल जंडियालागुरु (जिला अमृतसर) यह स्कूल गुरुदेव के नाम पर १२-१३ वर्ष से बराबर चल रहा है, प्रारम्भ में यह भी प्राइमरी स्कूल था, उत्साही कार्य कर्ताओं ने अपने कार्य में उन्नति कर के इसे मिडिलस्कूल कर दिया, अब कुछ वर्षों से मिडिल स्कूल भलीभांति चल रहा है, जैन, जैनेतर विद्यार्थी शिक्षाका पूरा लाभ ले रहे हैं । श्री आत्मानन्द जैन प्राइमरी स्कूल लुधियाना-- गुरुदेव के नाम से यह स्कूल भी १०-१२ वर्ष से चला रहा है और जैन जैनेतर विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। श्री आत्मानन्द जैन विद्यालय गुजरांवाला-- गुरुदेव का गुजरांवाला में स्वर्गवास हुआ, तभी से यह जैनियों का तीर्थस्थान है, और यहां के समाज में गुरुभक्ति भी कूट कूट कर भरी हुई है। लगभग ३० वर्ष पूर्व इस विद्यालय को स्थापित किया गया था, वह विद्यालय आजतक अच्छी तरह कार्य कर रहा है, वर्तमान समय में श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल पंजाब की ओर से ९५० रु. वार्षिक सहायता दी जाती है, और तीन अध्यापकों की निगरानी में १५५ विद्यार्थी शिक्षा का लाभ ले रहे हैं, इस प्रकार यह संस्था भी जैन व जैनेतर समाज का कल्याण कर रही है। श्री आत्मानन्द जैन विद्यालय सादड़ी (मारवाड़)-- __ मारवाड़ और मेवाड़ तो शिक्षा के लिये सचमुच मरुभूमि सा ही था, परन्तु इस थोड़े से समय में उस देश में बहुत परिवर्तन हो गया हैं। श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी व उनके शिष्यरत्न पं. ललितविजय जी ने अपने उपदेश और प्रयत्नों से उस प्रदेश को ज्ञान से हरा भरा कर दिया है, पूर्वोक्त संस्था का उद्घाटन भी इन्ही उपकारियों के [ श्री आत्मारामजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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