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________________ सूरीश्वरजी के पुनीत नामपर जैसे देशों में स्वयं विहार कर उन देशों को पुनीत किया, और भारत के कोने कोने में ही नहीं, प्रत्युत विदेशों तक उन्हों ने जैनधर्म का सन्देश पहुंचाया, परन्तु पंजाब पर उनकी विशेष कृपा थी, पंजाब के लिये वास्तव में वे सञ्जीवनी बूटी थे। पंजाब में उन्होंने कई स्थानोंपर मन्दिर बनवाये, और अपने विहार में धर्म का खूब प्रचार किया, अन्यधर्मावलम्बियों ने आप से खूब इर्ष्या की और आप को परास्त करने के उद्देश्य से आते रहे, परन्तु तुरन्त ही वे आप के अमृतोपदेश सुनकर आप के भक्त होते गये । गुरुदेव दिग्गज विद्वान थे । और अज्ञानतिमिर भास्कर, जैनतत्त्वादर्श, जैसे कई उपयोगी ग्रन्थ अपने जीवन में तैयार कर गये । यद्यपि गुरुदेवने पंजाब में बहुत से मन्दिर निर्माण कराये, तथापि उन्हे उतने मात्र कार्य से सन्तोष न था, उनके हृदय में इन मन्दिरों के सच्चे पुजारी पैदा करने की भावना थी, उनके दिल में एक कसक थी, प्रबल इच्छा थी कि इनके साथ कई सरस्वती मन्दिर स्थापित किये जायें, और उन्हें विशालविद्यापीठ बनाकर समाज का कल्याण किया जाय, जबतक ज्ञान का प्रचार न किया जायगा तबतक किया हुआ कार्य स्थायी नहीं रह सकता, परन्तु गुरुदेव अपने इस अन्तिम भावना को अपने जीवन में पूर्ण न कर सके, समाज के दुर्भाग्य से उन का असमय में ही स्वर्गवास हो गया। Genius begins great works; Labour alone finishes them. -Jonbort अर्थात् महान कार्यों का प्रारम्भ मङ्गल प्रतिभाशाली मनुष्य करते हैं और उसका अन्तमङ्गल श्रम-शील पुरुष करते हैं। अंग्रेजी की इस उक्ति के अनुसार गुरुदेव की प्रारम्भ हुई भावना को समाज के कर्णधार गुरुदेव मानस हृदय के राजहंस, श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजने कई प्रकार के कष्ट सहकर भी उसे पूर्ण किया। गुरुदेव के नाम पर कई शिक्षण संस्थायें, कई पुस्तक प्रचारक संस्थायें और कई पुस्तकालय आदि स्थापित हुए, जिन का संक्षिप्त परिचय पाठकों को इस में मिलेगा, इन संस्थाओं का परिचय जानने से पूर्व, पाठकों को यह न भूलना चाहिये कि श्री महावीर विद्यालय-बम्बई, पार्श्वनाथ जैन विद्यालय [ श्री आत्मारामजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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