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________________ अंबाला ( पंजाब ) में स्थापित संस्थाएं श्री आत्मानंद जैन कन्या पाठशाला में १६३ कन्यायें शिक्षा प्राप्त करती हैं । चार अध्यापिकाओं की देखरेख में इस पाठशाला का कार्य भी अच्छा हो रहा है । धर्मशिक्षण के लिये श्री आत्मानंद जैन शिक्षावली पढ़ाई जाती है । इसप्रकार ये संस्थायें जैनों में ही नहीं प्रत्युत अजैनों में भी व्यावहारिक तथा धर्मशिक्षा का प्रचार कर रही हैं । सर्वसाधारण में जैन धर्म के विषय में जो भ्रममूलक विचार हैं उनके निराकरण का यह उपाय सर्वश्रेष्ठ सिद्ध हुआ है । आशा है कि जैन संस्कारों से अलंकृत यह संतति भविष्य में अपने सुविचारों और सुचरित्र से जैन धर्म का ही क्यों भारतवर्ष का भी मुख उज्ज्वल करेगी । 1 इन संस्थाओं के प्रबंध के लिये एक मैनेजिंग कमेटी बनी हुई है जो सरकारद्वारा रजिस्टर्ड है । सारी आमदनी और खर्च का रीतिपूर्वक हिसाब रक्खा जाता है जिसे सभा की ओर से निर्वाचित आडीटर पड़ताल करते हैं । स्कूल का हिसाब सरकारी आडीटर भी पड़ताल करता है । इन सब स्कूलों का वार्षिक खर्च २० हजार रुपये के लगभग है जो फीस, सरकारी ग्रांट और दानादि से पूरा किया जाता है। दोनों प्राइमरी स्कूलों और कन्या पाठशाला में कोई फीस नहीं ली जाती। लगभग ५ हज़ार रूपये साल का घाटा समाज को पूरा करना पड़ता 1 यहां यह उल्लेख कर देना भी अनुचित न होगा कि धार्मिक त्योहारों पर सभाओं तथा मेलों का प्रबंध करने के लिये श्री आत्मानंद जैन नवयुवक मंडल चार पांच साल से अच्छा कार्य कर रहा है। श्री मंदिरजी में आरती का प्रबंध मंडल ही करता है । मंडल की अपनी एक भजन मंडली और बैंड भी है । प्रार्थना है कि यह संस्थायें इसीप्रकार सुचारु रूपसे अपना कार्य कर के धर्म और समाज का गौरव बढ़ाती रहें । •: १८: Jain Education International For Private & Personal Use Only [ श्री आत्मारामजी www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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