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________________ श्री आत्मारामजी और हिन्दी भाषा प्रकार की राग-रागनीयों में पूजायें, भजन, स्तवन बनाने में प्रवीण, आप युरोपियन विद्वानों के असुगम, असाधारण और गंभीर प्रश्नों का संपूर्ण और संतोषकारक उत्तर देते थे, तब ही तो युरोपियन विद्वान · मदीयनिखिलप्रश्नव्याख्यातः शास्त्रपारग' ऐसे उद्गार निकालते थे। आप ने ऊपर के दोनों ग्रंथों से बड़ा एक और ग्रंथ रचा । नाम रखा ' तत्वनिर्णयप्रासाद' आठ नौ सो पृष्ठ का एक बड़ा दलदार ग्रंथ है। नाम रखने में भी युक्तियुक्त अपूर्व कल्पना की है । तत्त्वों के निर्णय का प्रासाद-महल । जैसे महल मंदिर स्तंभो के आधार खड़े होते हैं, वैसे ही ग्रंथकर्ता ने ३६ स्तंभो पर तत्त्व-निर्णय का प्रासाद-महल की रचना की है। प्रत्येक स्तंभ विविध प्रकार के रोचक व चित्ताकर्षक प्रकरणों से विभूषित है । एक बार ग्रंथ हाथ में लेकर छोड़ने को जी नहीं चाहता-यह ग्रंथकता के पांडित्य और षट्शास्त्रपारगामित्व की प्रामाणिक साक्षी है ।। सब जगत् जानता है कि श्री आत्मारामजी महाराज दीक्षा लेकर २२ वर्ष ढूंढिये ( स्थानकवासी ) साधु रहे, संवत् १९३२ में शुद्ध संप्रदाय की दीक्षा श्रीमद् बुद्धिविजयजी महाराज के करकमलों से स्वीकार की। आपने ढूंढिया पंथ क्यों छोड़ा, इसका सविस्तर वृत्तान्त आप के जीवनचरित्र में छपा है, यहां तो केवल इतना ही लिखने का विषय है कि ढूंढियों को सत्य जैन धर्म का ज्ञान कराने के लिये समकितसार के खंडनरूप सम्यक्त्वशल्योद्धार ग्रंथ रचा, मूर्तिपूजा, मुहपत्तिचर्चा आदि अनेक विषयों पर सांप्रदायिक शास्त्रीय प्रमाणों और युक्तियों का एक अद्भुत संग्रह है। लेख बढ़ जाने के भय से अब हम श्री आत्मारामजी महाराज के विरचित हिंदी ग्रंथों की नामावलि देकर लेख समाप्त करते हैं । १ ईसाईमतसमीक्षा ( मुद्रित होनेवाली है)। ७ वीस स्थानकपूजा । २ जैनमत का स्वरूप । ८ अष्टप्रकारीपूजा । ३ जैन धर्म विषयिक प्रश्नोत्तर । ९ सतरहभेदी पूजा । ४ चतुर्थस्तुति निर्णय, दो भाग। १० नवपदपूजा । ५ आत्मविलास, भजनावली । ११ नवतत्त्व यंत्र सहित । ६ स्नात्रपूजा । पूर्वोक्त प्रमाणयुक्त लेख से सिद्ध हो गया है श्री आत्मारामजी महाराज की हिंदी समय के अनुसार और अतीव उपयोगी थी और है। [ श्री आत्मारामजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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