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________________ लेखसार आवश्यक पाठ में महावत की कथा डा० एडेलहीड मेटे, म्यूनिख विश्वविद्यालय, पश्चिम जर्मनी महावत की कथा को हेमचंद्र ने परिशिष्टपर्व (1959-1173 ई०) में 'नूपुरपंडितायाश्च गोमायोश्च कथा' के नाम से संस्कृत श्लोकों में निबद्ध किया है। इसे जर्मन विद्वानों ने संपादित कर 1891 व 1932 में प्रकाशित किया था। इन विद्वानों का विचार था कि इस कथा के मूलकर्ता हेमचंद्र ही ही हैं। लेकिन जब 1962 में अमरदेव की वृत्ति के साथ नेमिचन्द्र का आख्यानकमणिकोश प्रकाशित हुआ, तो उसमें भी यह कथा मिली । यह कथा हेमचंद्र से कम से कम 25 वर्ष पूर्व लिखी गई थी। लेकिन इस कथा को स्रीत इससे भी प्राचीन है। यह आवश्यक टीकाओं में भी प्राप्त होती है। इससे यह कथा सातवीं सदी की ठहरती है। यह 'मिन्थ कथा' के नाम से श्रावकों को अकामनिर्जरा के निदर्शन के रूप में लिखी गई है । एक श्रावक एक मरणासन्न प्यासे महावत को कहता है, “तुम अरिहन्त का ध्यान करो, तबतक मैं तम्हारे लिये पानी लाता हूँ।' पर पानी लाने के पहले ही महावत की मृत्यु हो जाती है। इस इस प्रकार महावत को अकाम निर्जरा होती है। ___ आवश्यक नियुक्ति में दी गई 'मिन्थ कथा' चूणियों में दी गई कथा से प्राचीनतर है । चूणियो में दी गई कथा उसके विविध छन्दों के आधार पर मिश्रित मालूम पड़ती है। फिर भी इस कथा के कुछ अंश पूर्ववर्ती विशिष्ट आर्याछन्द में निबद्ध हैं और पाली जातकों में भी पाये जाते हैं। ये ही छन्द जैनों के पर्याप्त प्राचीन ग्रन्थों-सूयगड़ तथा उत्तरज्झयण में भी पाये जाते हैं। इससे इस कथा की प्राचीनता ईसापूर्व तीसरी सदी तक जाती है। इस प्रकार यह एकिलस टेरिओस की कथा से भी प्राचीन ठहरती है जो द्वितीय सदी की है । अंडभूतजातक में भी यह कथा है, पर वह उत्तरवर्ती समय की है। लेखक ने इन सभी स्रोतों का तुलनात्मक परिशीलन किया है। उन्होंने कथा को छह अंशों में विभाजित कर उसके प्रत्येक अंश की छन्द-रचना, कथावस्तु की विशेषता तथा अन्य आधारों से आवश्यक नियुक्ति की कथा को प्राचीन सिद्ध किया है। उन्होंने यह आशा भी व्यक्त की है कि इस कथा का धार्मिक उद्देश्य होने के कारण इसका एक अच्छा संपादित संस्करण प्रकाशित किया जाना चाहिये । -560 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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