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________________ वैज्ञानिक सिद्धान्तों या व्याख्याओंकी परिवर्तनशीलताके आधारपर उसे सत्य नहीं मानना चाहते, वे धर्मको शाश्वत मानकर उसे ही प्रशय देना चाहते हैं । इस विषयमें मैं केवल यही कहना चाहता हूँ (जैसा प्रारम्भमें ही कहा है) कि धर्मका उद्देश्य मानव जीवनमें सदाचार, सहयोग, शान्ति और सुव्यवस्था उत्पन्न करना है। विश्व रचना या भूगोल सम्बन्धी तथ्योंका क्षेत्र तो विज्ञानका ही है। दोनोंको सहयोगपूर्वक अपना कार्य करना चाहिये, टकराहटका कोई प्रश्न ही नहीं होना चाहिये। ऐसे ही प्रकरणोंमें अनेकान्त दृष्टिकी परख होती है। सारणी-१ : कुछ ग्रहोंके आगमिक और वैज्ञानिक विवरण (योजन -४००० मील) चन्द्र पृथ्वी आगमिक वैज्ञानिक पृथ्वीसे दूरी लाख मील व्यास, मील ९४८७५६० मोटाई, मील चन्द्र आगमिक वैज्ञानिक आगमिक वैज्ञानिक ३५-२० २-३१ ३२ ९३० ३६७२६, २१६० ३१४७३३ ८,६५००० १८३६४ - १५७३४० कुछ कम २५ २७२१ २८ ३६६ ।। ४-३९-४-४२,५ २५ अक्षणभ्रमण (घूर्णन) घंटे सूर्यकी परिक्रमाका समय, दिन २३-९ ३६५१ गति मील, मिनट ४-२२-४-३१ १२०.० किरणों की संख्या वाहक देवता परिवारके सदस्य १२००० १६००० १६००० तारा नक्षत्र २८ ग्रह परिवार ८८ ४ परदेवियाँ ४ परदेवियाँ १६००० देवियाँ १६००० देवियाँ - १०३८-४५ + १००० वर्ष १०३८-४५ + एक लाख वर्ष आयु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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