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________________ से प्रथम पंचमांशमें और द्वितीय दशमांशमें स्थित था। स्पष्ट है कि यहाँ पचराई ग्रामके नामको संस्कृत भाषाके शब्दमें परिवर्तित कर पंचमांश लिखा गया है। तत्कालीन कुछ अन्य लेखोंमें पचराईका तत्कालीन नाम पचलाई मिलता है। सातवें और अन्तिम श्लोकमें प्रथम गोष्ठिकका नाम जसहड़ था, जो समस्त यशोंका निधि था एवं जिनशासनमें विख्यात था । अन्तिम पंक्तिमें मङ्गलं महाश्री तथा भद्रमस्तु जिनशासनाय उत्कीर्ण है तथा अन्तमें संवत् ११२२ लिखा है । राजा हरिराज बुन्देलखण्डके प्रतिहार वंशके प्रथम शासक थे। इस वंशका सुप्रसिद्ध गुर्जर प्रतिहार वंशसे क्या सम्बन्ध है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। हरिराजके समयका विक्रम संवत् १०५५ का एक शिलालेख चन्देरीके निकट थुबौनमें प्राप्त हुआ है और उनका विक्रम संवत् १०४० का ताम्रपत्र लेख भारत कला भवन, काशीमें जमा है। रणपालदेवके समयका विक्रम संवत् ११०० का एक शिलालेख बूढ़ी मला है। प्रस्तुत लेख उस नरेशका द्वितीय तिथियुक्त लेख है। पचराईके इस लेखका मूलपाठ निम्न प्रकार है: मूलपाठ इस लेखका मूलपाठ निम्नलिखित है : ..[श्री] [शां] १. ई सी सांतिनाथो रतिमुक्तिनाथः । यस्चक्रवती भुवनांश्च धत्ते ॥3 [1] सोभाग्यरासिद्ध र भाग्यरासि स्तान्ते वि __ [कु]कु] [शि] [शु] [शि] २. भूत्यै नसो विभूत्यै ।। श्री कूदकूद संताने । गणेदेसिक संज्ञिके । सुभनंदिगुराः सिष्यः सूरिः श्री ली३. ल चन्द्रकः ॥ हरी व भूत्या हरिराजदेवो वभूव भीमेव हि तस्य भीमः । सुतस्तदीयो रणपाल नाम ॥ एतद्धिरा श [श ४. ज्ये कृतिराजनस्य ॥ परपाटान्वये सुद्धे साधु र्नाम्ना महेस्वरः । महेस्वरेव विख्यातस्तत्सुतो [बो] वोध ५. संज्ञकः । तत्पुत्रोराजनोज्ञेयः कीर्तिस्तस्ये यमद्भुता । जिनेंदुवत्सुभात्यंतं ।" राजते भुवन त्र [शु] [शे] ६. ये ॥ तस्मिन्नेवान्वये दित्ये गोष्ठिकावपरौ सुभौ । पचमांसे स्थितो हयेको द्वितीयो द ७. समांसके ॥ आद्यो जसहडो ज्ञेयः समस्त जससां निधिः । भवनोजिनवरस्चायो विख्यातो ८. जिनसासने ॥ मङ्गलंमहाश्रीः ॥ भद्र मस्तु जिनशासनाय ।। ० ॥ संवत् ११२२ १. ओम्को चिह्नद्वारा अंकित किया गया है । २. अनावश्यक है। ३. अनावश्यक है। ४. अनावश्यक। ५. अनावश्यक । - ३४९ - For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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