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________________ 'वरांगचरित' तथा परमेश्वर का 'वागर्थसंग्रह' भी अतुलनीय रचनाएँ हैं । इसी प्रकार अकलंक, मल्लवादी, सिद्धसेन दिवाकर, गुणनन्दि, गुणाढ्य आदिने भी धर्म तथा साहित्यके ग्रंथोंका निर्माण कर अपनी यशोध्वजा फहरायी । संस्कृत काव्यों में सर्वप्रथम द्विसंधान-कोटिका काव्य कर्नाटकके धनंजयने ही रचा जिन्होंने नाममाला नामक शब्दकोश भी बनाया । इन्हींके समकालीन श्रीवर्धदेव ने 'चूड़ामणि' काव्य भी लिखा । राष्ट्रकूट युग भी जैनधर्म के संवर्धन के लिये महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ । इस युग में आगमग्रंथों पर बृहत् टीकाएँ लिखी गईं, पुराण लिखे गये । धवला, जयधवला, हरिवंशपुराण आदि इसी काल की रचनाएँ हैं । जिनसेन आदिपुराण और पाश्र्वाभ्युदयको कौन भूल सकता है ? ये अमोघवर्ष के राज्यकालमें हुए हैं जिनकी 'प्रश्नोत्तर - रत्नमालिका' प्रसिद्ध है । इसी युगमें कातंत्रव्याकरणके रचयिता कौमार, शाकटायन व्याकरण के रचयिता पाल्य कीर्ति और गणितसारसंग्रहके रचयिता महावीराचार्य भी हुए। उत्तरवर्ती गंगराज शिवमार के समय में प्रसिद्ध तार्किक विद्यानन्द हुए जिन्होंने तत्त्वार्थश्लोकवार्त्तिकके समान अनेक ग्रंथोंकी रचना की । कर्नाटक में आगे चलकर प्रभाचंड और अनंतवीर्यके समान उत्कट जैन दार्शनिक हुए । यहीं राष्ट्रकूट राज कृष्णराज तृतीयने पुष्पदन्त और सोमदेवसूरिका संवर्धन किया । सोमदेवने यशस्तिलकचम्पूके अतिरिक्त राजनीति-विषयक नीतिवाक्यामृत भी लिखा जो कौटिल्य के अर्थशास्त्रका संक्षिप्त रूप है । इसका इतालवी भाषामें अनुवाद किया गया है । कर्नाटक इतिहासको देखनेसे ऐसा प्रतीत होता है कि धाराके भोज और कर्नाटकके चालुक्य राजाओं में कवियोंके संरक्षणके लिए प्रतिस्पर्धा रही । जयसिंह द्वितीयके शासन कालमें यशोधरचरित तथा सिद्धिविनिश्चयके रचयिता वादिराज निश्चय ही अत्यन्त प्रशंसनीय आचार्य हुए हैं । इन्होंने चरित और स्तोत्रके अतिरिक्त रूपसिद्धि' नामक व्याकरण ग्रंथ भी लिखा है । बारहवीं सदीके जैन लेखकों में संगीतसमयसार के रचयिता पर्वदेव, गद्यचिन्तामणि के रचयिता वादीभ सिंह तथा अलंकारचिन्तामणि के रचयिता अजितसेनके नाम प्रमुख हैं । इन पर लेखकने विस्तृत अध्ययन कर टिप्पण लिखे हैं । Jain Education International - 267 - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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