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________________ उपमान १. जल २. वृक्ष वन, सघन वन लता, महालता ३. समुद्र ४. रत्न ५. स्फटिकमणि, माणिक्य, नमक ६. शत्रु ७. महल ८. लक्ष्मी, प्रिया ९. राजा १०. शस्त्र कुदाली 1 तलवार, लङ्ग ११. विष, विषपुष्प १२. धूलि, मल, रज, कलक १३. अन्धकार १४. अग्नि १५. ईधन १६. तेल Jain Education International सारणी ३. धार्मिक तत्वोंके लिये उपमान गुण प्रवाह व प्रक्षालन गुण प्राकृतिक आकर्षण, विशालता प्राकृतिक आकर्षण, भुलभुलैया परजीविता कीट अनन्त विस्तार, गहराई, रत्न शोभा, बहुमूल्यता, कठोरता चिन्तामणि, शुद्धता, क्रिस्टल युद्ध करना, जीतना निवास स्थान, विस्तार, सौन्दर्य चाहनेकी इच्छा, सौन्दर्य, सौन्दर्य, अनुरक्ति सामर्थ्य छेदन, भेदन, शत्रु-दलन विषाक्तता, बाधक सूक्ष्मता, चिपकनेकी क्षमता निराकरणीयता अदृश्यता जलाना, जलना, सर्वभक्षण जलानेका गुण स्निग्धता ऊर्जा २१४ - For Private & Personal Use Only उपमेय सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र धर्म, मोह, पुनर्जन्म, संसार संसार, स्त्री संसार, माया संसार, मूनि विषय , तप, सम्यक्त्व बहुमूल्यता कर्म, धर्म, मोक्ष कषाय धर्म, मोज कर्म आत्मा ज्ञान, भावना, क्षमा, ध्यान चरित्र कर्म, विषय कर्म, मिथ्यात्व, पाप मिथ्यात्व पाप रोग, मृत्यु, चरित्र, तप कर्म भक्ति, आस्रव www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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