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________________ ५४. ५५. ५६. ५७. ५८. ५९. ६०. ६१. ६२. ६३. ६४. ६५. ६६-६७, ६८. ६९. ७०. ७१. ७२. ७३. ७४. ७६. ७७. ७८. ७९. ८०. ८१. ८२. ८३. ८४. ८५. ८६. ८७. ८८. २४ जून ६५ १५ जुलाई ६५ २९ जुलाई ६५ २० अगस्त ६५ २ दिसम्बर ६५ ३-१० नवम्बर ६६ ६ जून ६८ ३१ अक्टूबर ६८ १९ दिसम्बर ६८ ३ जुलाई ६९ १० जुलाई ६९ २४ जुलाई ६९ १३ मार्च ६९ २१ मार्च ७० ४ जून ७० ९ जुलाई ७० ६ अगस्त ७० १२ नवम्बर ७० ६ मई ७१ १३ मई ७१ २४ जून ७१ १ जुलाई ७१ ६ अगस्त ७१ ३ सितम्बर ७१ २ दिसम्बर ७१ २६ अगस्त ७१ १३ मार्च ७२ २० मार्च ७२ २८ मई ७२ ३ अगस्त ७२ १४ सितम्बर ७२ ५ अक्टूबर ७२ २१ जून ७३ २९ मार्च ७३ Jain Education International तथोक्त नियतिवाद और सर्वज्ञता जैसा केवलीने जाना, वैसा अवश्य होगा, क्या यह मान्यता मूलतः गलत है ? व्यवहार धर्मके उपदेशकी आवश्यकता सिद्धों में चारित्र और सुख नया तीर्थकरों की त्रिकालज्ञता हेतुकी बात है ? धर्म और पुण्य १, २ क्या व्यवहार रत्नत्रय मोक्षका मूल कारण है ? देवशास्त्र - गुरु और सम्यग्दर्शन स्वरूपाचरण और सिद्धोंमें परित्र आचार्य पद प्रतिष्ठा दिगम्बरत्वसे चिढ़ क्यों ? निश्वयाभासी और व्यवहाराभासी क्षुल्लकका वेष और आचार १, २ क्या चरित्रहीनको सम्यक्त्वकी प्राप्ति संभव है आगमका यह अपलाप क्यों ? सम्पक चरित्रके बिना मुक्ति नहीं, किन्तु सम्यक् दर्शनके बिना सम्यक् चरित्र नहीं । चरित्रकी उपयोगिता आ० कुन्दकुन्दका महत्व areगीका अर्थ द्रव्यदृष्टि सम्यग्दृष्टिका अर्थ क्या रत्नत्रय बन्धका कारण है ? क्या देश रस्नमय सम्पूर्ण रत्नत्रयका विपक्ष है ? बन्धका उपाय मोक्षका उपाय नहीं हो सकता क्या व्यवहारको मिथ्या और निश्चयको सत्य कहना धृष्टता है भूतार्थ और अभूतार्थका अर्थ अशुभसे बचकर शुभमें लगना भी सरल नहीं हैं सम्यक्त्व से पूर्व अष्टमूलगुणधारण आवश्यक है क्या अष्टमूल गुण धारण किये बिना सम्यग्दर्शन नहीं हो सकता ? शास्त्रविरुद्ध शिथिलाचारका पोषक कौन ? मुनिमार्गी बिगड़ती हुई स्थिति वीतरागता ही सच्चा धर्म है ज्ञान व चरित्रका पक्ष लेने मात्रसे कल्याण नहीं होगा सिद्धान्तका पात तो मत कीजिये वीतरागी देव ही पूज्य है - ९५ - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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