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________________ श्र ५६५. Jain Education International कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : पंचम खण्ड मध्य भाग ना रातां नं अपछरा, ना किन्नरी काय | तिण आगिल तिण सारिषि, जोतां आवें दाय ॥ २ ॥ भांति एक लीलावति, वीजीऊ भांति नारि । 1 ना पग नें अँगूठे सभी रूपे कानहि नारि ॥ ३ ॥ नां जोवें मुँह पुरुष तन लेखवे लिगार । आपण जांण पण थकि, अंगि वहें अहंकार ॥ ४ ॥ एक वाथ सुडि कहि, सुष आमलि मन थंति । राजा मन देसां भले, एक चितें एकंत ॥ ५ ॥ मन भेद्यो मालव धणि, सांभलि बात विचार । ते किण विधि देषस्यूँ, चितई मनह मझारि ॥ ६ ॥ ७ ॥ ढाल - कुमरो बोलाये कुवडो ए देसी ॥ बोलावें अण बोलति, बाते विक्कम रायो रे । कथा कहें ने केलवि, आवें कोटि उपायो रे । १ बो० ॥ दीपक सनमुप जोड़ने, राति पणि किम जाये रे । कांईक बात कहों तुम्हें, सांभलिए सुष थायो रे । २ बो० ॥ इम जाणे लिलावति, गहिलो ए बर दिसे रे । ए दिवों कीम बोलसि मुँह चढ़ावे रिसो रे । ३ वी० ॥ दीवा मांहि देवता, आगियों बोलें आगे रे । मांहि रे ।। ५ बो० ॥ दुषो रे । दुषों रे ।। ६ बो० ॥ वणाइ रे । । सांभलि राय सुजांण तुं, बात कहूँ किण रागें रे ॥ ४ बो० ॥ बात कीसि हुषियां कही, एक घडि सुष नांहि रे । मोडि मरोड वाट ने, तेल भरि तप इम काया परजाकतों, राति दिवस सहां बात न काइ आवडे, दुषां उपरि बात कहो तुम्ह आवडें, रूडि रसक हुँकारो देस्सु अम्हें, सांभले लोक घणाइ रे ।। ७ बो० ॥ हि राजा कहें वारता, सांगलण्यो सह कोई रे क्षति प्रतिष्टपुर वर भलो, न्याय चलें सब कोई रे ॥ ८ बो० ॥ श्रीधर सेठ वसें तिहां, कांमदेव तसु पुत्रो रे । जाण प्रविण सुपुत्र छे, राषण घरनो सूत्रो रे ।। १ बो० ॥ परणायो ऊछव चंद्रानगरि भूरे। आंणों करवा तेहने, आवें भोलि बालपणा थकि, करें विलाप कांमदेव ते लाजतो, सासू सुसरा वलतो ससुरो इम कहे, नान्हड़ी ए निजि वारे आणिस्यो, ग्रहणों वींटी कामदेव तिमहिज कियो, फिरो २ वार २ ते आवतो, लाजे लोक विचारों रे ।। १३ बो० ॥ तेह सरूपें रे ।। १० बो० ॥ विसेषे रे । देवे रे ।। ११ बो० ॥ बालि रे । वालि रे ।। १२ बो० ॥ विचारों रे । करी, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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