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________________ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड आपने अपने छोटे भाई को पिता एवं पुत्र का प्यार दिया, कभी यह अनुभव नहीं होने दिया कि उनके माता-पिता नहीं हैं । वि० सं० २००१ में जब आपने अपना शेष जीवन संस्था के निर्माण में समर्पित करने का निश्चय कर लिया तो अपने व्यापार का सम्पूर्ण भार अपने छोटे भाई भँवरलालजी सुराणा के कन्धों पर डाल दिया। भंवरलालजी व्यापार को सम्भाल नहीं सके, इसलिए व्यापार में काफी नुकसान हो गया लेकिन आपने अपने भाई को कभी आँख उठाकर यह नहीं कहा कि नुकसान कैसे हुआ? न कभी हिसाब ही पूछा और न क्रोध ही किया, उल्टा आपने ढाढस बँधाते हुए कहा-जो हो गया उसे भूल जाओ, आगे ध्यान रखो और जो कुछ है उसे सम्भाल कर रखो। इसके बाद आपके छोटे भाई भंवरलालजी में आत्मविश्वास पैदा हुआ और व्यापार को धीरे-धीरे अच्छा जमा लिया किन्तु दुर्योग से वि० सं० २००७-८ में एक-डेढ़ लाख रुपये का व्यापार में फिर घाटा हो गया। आपको जब इसके समाचार मिले तो आप राणावास से चलकर तुरन्त बुलारम गये और बहुत से आभूषण अपने लघु भ्राता को थमाते हुए बोले कि इन्हें बेचकर नुकसान की पूर्ति करो और आगे का ध्यान रखो लेकिन आपने अपने छोटे भाई से कभी यह नहीं पूछा कि नुकसान कैसे हो गया ? एक भाई का दूसरे भाई के प्रति इतना वात्सल्य, इतनी सहृदयता और ऐसा स्नेह व हितैषी व्यवहार राम और लक्ष्मण की पौराणिक जोड़ी की स्मृति पुनः नयनों में उभार देता है। आदर्श पति गृहस्थाश्रम में आप एक आदर्श पति के समस्त गुणों के सम्पन्न व्यक्ति के रूप में समाज में प्रतिष्ठित हैं । सोलह वर्ष की उम्र में ही आपके कन्धों पर घर की समस्त जिम्मेदारियाँ आ पड़ीं, इससे दो वर्ष पूर्व ही आपका विवाह हुआ था। परिवार में माता-पिता का इस लघु वय में जो अंकुश होना चाहिए वह नहीं था फिर भी आपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को वहन करते हुए जिस रूप में गृहस्थाश्रम चलाया वह आपके आदर्श पति के रूप को उजागर करता है । आपने श्रीमती सुन्दरदेवी को कभी यह नहीं अनुभव होने दिया कि वह परिवार में एकाकी है या घर के दायित्वों का सारा भार केवल उसे ही उठाना पड़ रहा है । आपने सरल व उदारमना सुन्दरदेवी को घर की लक्ष्मी के रूप में प्रस्थापित किया और उनमें आत्मविश्वास पैदा किया, घर के दायित्वों के प्रति सतर्क किया एवं सामा जिक व्यवहार में समयानुकूल परामर्श दिया । कभी किसी छोटी-मोटी बात को लेकर पति-पत्नी में बोलचाल हो गयी हो ऐसा कभी नहीं हुआ। विवाह के बाद जो स्नेहसूत्र प्रगाढ़ हुए वे भविष्य में क्रमश: प्रगाढ़ होते ही गये । आप स्वयं यदाकदा संकेत देते रहते हैं कि माता-पिता के स्वर्गवास के पश्चात् हर छोटे-बड़े, मुसीबत के काम में जिस दृढ़ता, मजबूती एवं समर्पण भाव से पत्नी ने साथ दिया वैसा और किसी ने नहीं दिया। श्रीमती सुन्दरदेवी ने भी पति को परमेश्वर मानकर आपके श्रीचरणों अपने आप को समर्पित कर दिया । वे धुप के साथ छाया की तरह आपके साथ जुड़ी रहीं। घर का काम हो या आपकी साधना, संस्था काम हो या अर्थ-संग्रह की यात्रा-आप हमेशा इनके साथ रहीं और प्रत्येक काम में पूर्ण उत्साह व मनोयोग के साथ हाथ बँटाया। आप दोनों के इस सुखी दाम्पत्य जीवन को देखकर लोगों में आप राम व सीता की जोड़ी की तरह चचित हैं। मितव्ययी कम से कम पैसे का अधिकतम उपयोग करना आपके स्वभाव की विशेषता है। वि० सं २०१४ में आपने घर खर्च में सौ रुपये से अधिक व्यय नहीं करने की प्रतिज्ञा की, उसको आज इस महंगाई के युग में भी आप बराबर निर्वाह कर रहे हैं, यह एक तथ्य ही आपके मितव्ययी स्वरूप को प्रमाणित करने के लिए काफी है। इन सौ रुपये में पति-पत्नी दोनों एक माह तक का रसोड़े का खर्च चलाते हैं तथा अन्य दैनिक व्यय की पूर्ति भी करते हैं । यदि किसी का आतिथ्य करना पड़ा तो उस स्थिति में आप अपने खान-पान में कटौती करके सौ रुपये के बजट को व्यवस्थित रखते हैं । आपकी मितव्ययिता की यह दृष्टि संस्था के निर्माण में भी देखी जा सकती है। विशाल भवनों का निर्माण कम से कम बजट में हुआ है । कोई भी उस भवन को देखकर और उसमें खर्च होने वाली राशि को सुनकर यह विश्वास नहीं कर सकता है कि इतनी कम रकम में इतना बड़ा भवन क्या कभी निर्मित हो सकता है ? आप मितव्ययी केवल अर्थ के मामले में ही नही हैं अपितु आप मितभाषी भी हैं। दिन में अधिकतम समय सामायिक व मौन में चला जाता है। शेष अवधि में भी आप कम से कम बोलते हैं जिससे संस्था के किसी व्यक्ति के साथ आपकी कभी कोई बोल-चाल नहीं होती। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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