SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४१ ) 李李李李李李李李李李李李李李 माध्यमिक शिक्षा और सरकारी दृष्टि श्रीमती सुषमा अरोड़ा, उदयपुर शिक्षण में सृजनात्मकता प्रो० भगवतीलाल व्यास, डबोक (उदयपुर) ३८ इम्तिहान पर क्षण भर डा० विश्वम्भर व्यास, उदयपुर शिक्षा और बेरोजगारी डा० जी० एल० चपलोत, नारनोल (हरियाणा) छात्र असन्तोष क्यों? श्री बी० पी० जोशी, उदयपुर बच्चों में चरित्र निर्माण : दिशा और दायित्व श्री उदय जारोलो, नीमच छात्रों में संस्कार निर्माण : घर, समाज व शिक्षक की भूमिका श्री भंवरलाल आच्छा, राणावास छात्र, छात्रावास और संस्कार मुनि श्री सुखलाल बच्चों का चरित्र-निर्माण श्रीमती कुमुद गुप्ता, नीमच अभिभावकों का दायित्व साध्वीश्री जयमाला, नोहर छात्र-अध्यापक सम्बन्ध साध्वीश्री गुणितप्रभा क्या धार्मिक शिक्षा उपयोगी है ? . साध्वीश्री रमाकुमारी नैतिक शिक्षा की व्यावहारिकता साध्वीश्री ललितप्रभा विभिन्न छात्रवृत्तियाँ : महत्व और प्रकार श्री रणजीतसिंह भण्डारी, (उदयपुर) नारी शिक्षा का लक्ष्य एवं स्वरूप डा० श्रीमती विद्या बिन्दुसिंह, इलाहाबाद नारी-शिक्षा का महत्व साध्वीश्री जयश्री सेवा : आत्म कल्याणक भी, लोक कल्याणक भी डा. नरेन्द्र भानावात, जयपुर सेवा : अर्थ और सही समझ साध्वीश्री यशोधरा समाज-सेवा में नारी की भूमिका श्रीमती मालती शर्मा, पूना समाज के विकास में नारी का योगदान साध्वीश्री मंजुला जैन विश्वभारती लाड : एक परिचय डा० कमलेशकुमार जैन, लाडनूं जनसारक्षरता और राष्ट्र निर्माण प्रो० बी० एल० धाकड़ उदयपुर - चतुर्थ खण्ड जैन धर्म, दर्शन एव साधना नमस्कार महामंत्र : एक विश्लेषण युवाचार्य श्री महाप्रज्ञजी जैन धर्म : सर्व प्राचीन धर्मपरम्परा डा० ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ जैन प्रमाणशास्त्र : एक अनुचिन्तन डा० दरबारीलाल कोठिया, वाराणसौ जैन आचार दर्शन : एक मूल्यांकन डा० सागरमल जैन, भोपाल विभिन्न दर्शनों में योगजन्य शक्तियों का स्वरूप साध्वीश्री संघमित्रा भारतीय योग और जैन चिन्तनधारा डा० छगनलाल शास्त्री, सरदारशहर शब्द-अर्थ सम्बन्ध : जैन दार्शनिकों की दृष्टि में डा० हेमलता बोलिया, उदयपुर १७४ ब्रह्माण्ड, आधुनिक विज्ञान और जैन दर्शन श्री बी० एल० कोठारी, उदयपुर जैन धर्म और लोकतन्त्र प्रो० चन्द्रसिंह नेनावटी, उदयपुर जैन रहस्यवाद डा० पुष्पलता जैन, नागपुर १६५ जैन दर्शन और ईश्वर की परिकल्पना डा० महावीर सरन जैन, जबलपुर २०६ आत्म-स्वरूप-विवेचन श्री राजेन्द्र मुनि । २१२ जैन धर्म में कर्म-सिद्धान्त साध्वीश्री जतनकुमारी २२० संलेखना : स्वरूप और महत्व श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री २२७ १०५ '中中中中中中中中卒中中中个个个个中空李个空中 李李李李李李李李李李李李李李空空中李李李李李李李 १०७ ११२ له الله الله १५६ १८० १८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy