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________________ सन्देश - -शुभकामना (भु०पू०) मुख्य मंत्री, राजस्थान जयपूर (EX.) CHIEF MINISTER OF RAJASTHAN, JAIPUR. १५ नवम्बर, १९७६ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ द्वारा श्री केसरीमलजी सुराणा का सार्वजनिक अभिनन्दन किया जा रहा है तथा इस अवसर पर उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट किया जायेगा। श्री सुराणाजी के त्याग एवं उनकी निःस्वार्थ सेवा भावना किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने राणावास को शिक्षा के आदर्श केन्द्र के रूप में ख्याति प्राप्त स्थान दिलाने में अविस्मरणीय योगदान किया है। ऐसी विभूति का सार्वजनिक अभिनन्दन किया जाना स्तुत्य है। मैं अभिनन्दन समारोह और अभिनन्दन ग्रन्थ दोनों ही की हृदय से सफलता चाहता हूँ। -भैरोंसिंह शेखावत चन्दनमल बंद वित्त व शिक्षा मंत्री, राजस्थान जयपुर दिसम्बर १९८१ श्री केसरीमलजी सुराणा ने अपनी सारी जिन्दगी शिक्षा की उन्नति में लगा दी है। श्री सुराणाजी राणावास जैसे ग्राम में जहाँ प्राथमिक विद्यालय चलाना बड़ा मुश्किल था, प्राथमिक विद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक चला रहे हैं । साधारण शिक्षा के साथ इन विद्यालयों में नैतिक शिक्षा भी दी जा रही है, उससे निश्चित रूप से बच्चों में सद्विचारों का प्रादुर्भाव होता है। श्री केसरीमलजी सुराणा ने इस संस्था को तन, मन एवं धन से सींचा है, वह प्रशंसनीय है। देश में छात्रों के चरित्र-निर्माण की दिशा में श्री सुराणा साहब का एक बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है । भगवान से मेरी यही प्रार्थना है कि श्री केसरीमलजी साहब शतायु हों और लम्बे समय तक देश की निरन्तर सेवा करते रहें। . -चन्दनमल बंद शीशराम ओला एम० एल० ए० ५-चिड़ावा अरड़ावता जिला झुन्झुनू राजस्थान दिनांक ३-११-८० कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ के शुभ अवसर पर मैं अपनी शुभकामनाएँ भेजते हुए ईश्वर से कामना करता हूँ कि हमारे प्रान्त और समाज में इस प्रकार के अनेकों सज्जन समाज की सेवा के लिए सामने आयें और कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा के पद-चिन्हों पर चलकर समाज की सेवा करें तो निश्चित रूप से समाज एवं हमारा प्रान्त तथा राष्ट्र विकास की ओर अग्रसर हो सकेगा। इस प्रकार के अभिनन्दन से न केवल आप कर्मयोगी श्री केसरीमलजो को ही सम्मानित कर रहे हैं बल्कि दूसरे उत्साही एवं लगनशील समाज के कार्यकर्ताओं को भी इससे बल मिलेगा और उत्साह बढ़ेगा। __मैं पुनः कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा सार्वजनिक अभिनन्दन समारोह की सफलता की ईश्वर से कामना करता हूँ। -शीशराम ओला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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