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श्री पी. एच. रूपचन्द डोसी जैन""विद्यालय, गुड़ा रामसिंह
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श्री सुमति शिक्षा सदन उ० मा० वि० राणावास से निम्न तीन अध्यापकों को वहाँ कार्य करने हेतु स्थानान्तरित किया गया।
१. श्री विजयसिंह पंवार २. श्री भंवरलाल साँखला ३. श्री नरेन्द्रकुमार जैन
कार्यालय प्रभारी के रूप में श्री गणेशचन्द्र जी माथुर वरिष्ठ लिपिक श्री सु०शि० सदन उ० मा० विद्यालय राणावास को भेजा गया, जिन्होंने प्रवेश, शुल्क व अन्य कार्यालयीय रेकार्ड तैयार किया। वे दस दिनों पश्चात् वापस राणावास बुलवा लिये गये।
___ यह विद्यालय श्री सुमति शिक्षा सदन उ० प्राथमिक विद्यालय गुड़ा रामसिंह के नाम से खोला गया। प्रारम्भ में इसमें केवल साठ छात्र व तीन अध्यापक ही थे। कक्षा ६ से ८ तक के केवल तीन विभाग खोले गये, क्योंकि इस गांव में उस समय राजकीय प्राथमिक विद्यालय चालू था तथा इस विद्यालय में आगे चलकर कक्षा ९ व १० खोलकर इसे माध्यमिक विद्यालय के रूप में क्रमोन्नत भी करना था। शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता
श्री सुमति शिक्षा सदन उच्च प्राथमिक विद्यालय गुड़ा रामसिंह राज्य सरकार ने अपने पत्र-संख्या विनिपा/ १९७०-७१ दि० १६-१०-७० के अन्तर्गत मान्यता प्रदान की। यह मान्यता प्रारम्भ में अस्थाई थी पर विद्यालय के परीक्षा परिणाम, छात्रसंख्या व भवन की पर्याप्तता आदि बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसे स्थायी मान्यता प्रदान कर दी। माध्यमिक विद्यालय के रूप में क्रमोन्नति
आस-पास के गांवों में सभी जगह उच्च प्राथमिक विद्यालय खुल चुके थे। स्थानीय ग्रामीण व जैन समाज की पुरजोर मांग तथा संस्था द्वारा निर्धारित अपने लक्ष्य और उद्देश्य की पूर्ति निमित्त सन् १९७५ में यहाँ नवम कक्षा खोल दी गयी। इस प्रकार यह विद्यालय उच्च प्राथमिक स्तर से क्रमोन्नत होकर माध्यमिक विद्यालय बन गया। संस्था के इस कार्य का सर्वत्र स्वागत किया गया, क्योंकि इसके कारण आस-पास के गांवों के छात्रों को राणावास व अन्य दूरस्थ स्थानों पर जाने की तकलीफ बन्द हो गयी और हायर सैकण्डरी उत्तीर्ण करने हेतु जहाँ तीन वर्षों तक अन्यत्र जाकर रहना पड़ता था वहाँ केवल एक वर्ष के लिए ही जाना पड़ता है। भावी योजना
जुलाई १९७५ से अब तक यह विद्यालय माध्यमिक विद्यालय के रूप में चल रहा है। आगे चलकर इसे उच्च माध्यमिक विद्यालय के रूप में क्रमोन्नत करने की संस्था की योजना है। विद्यालय का नया नामकरण
विद्यालय भवन को राणावास संस्था को सौंपते समय गुडावासियों ने पचास हजार की राशि विद्यालय संचालन हेतु देने का वायदा किया था, पर लगातार ३-४ वर्षों तक अथक प्रयास करने पर भी यह राशि प्राप्त नहीं हुई । संस्था के सामने वित्तीय भार था। इसे कम करने हेतु संस्था ने प्रस्ताव किया कि जो सज्जन इस संस्था के संचालन हेतु अधिकाधिक राशि प्रदान करेंगे तो इस विद्यालय का नामकरण उनके नाम से कर दिया जायेगा । श्री जुगराजजी सेठिया ने ३१००० रु०, बाद में श्री चान्दमलजी जुगराजजी सेठिया ने सम्मिलित रूप से ४१००० रु० की राशि भेंट करने की बात कही। फिर इन दोनों सज्जनों ने और आगे कदम बढ़ाकर राणावास में कालेज स्थापना हेतु सवा दो लाख रुपये का प्रस्ताव कर दिया।
श्री सरेमल जी डोसी ने अपने पिता श्री रूपचन्दजी डोसी के नाम से ५१०००6० देने की घोषणा की । संस्था की कार्यकारिणी ने अपने प्रस्ताव संस्था १०, दिनांक १५ फरवरी, १९७३ के तहत यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। विद्यालय का नया नाम संस्था ने १ जुलाई, १९७३ से निम्नानुसार कर दिया
श्री पी. एच. रूपचन्द डोसी जैन उच्च प्राथमिक विद्यालय, गुड़ारामसिंह (पाली)
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