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________________ २१४ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड ........... ...... १-आन्तरिक परीक्षा योजना की नीति एवं तिथियों को निर्धारित करना । २-छात्रों द्वारा गृहकार्य करने एवं अवलोकन सम्बन्धी मापदण्ड का निर्धारण । ३–छात्र उपस्थिति-नीति का निर्धारण एवं विशिष्ट परिस्थितियों में मार्गदर्शक बिन्दुओं पर विचार । ४-राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर को प्रतियोगिताओं के सफलतापूर्वक आयोजन के विभिन्न पहलुओं पर विचारविमर्श एवं प्रभावी निर्णयन । ५--महाविद्यालय प्रबन्ध समिति द्वारा लिये निर्णयों को अवगत कराना एवं परिणामों की उपलब्धि के लिए परिषद के सदस्यों के दायित्वों का निर्धारण । ६-खेलों के समुन्नत विकास एवं सफल संचालन के लिए नीति निर्धारण तथा प्रत्येक व्याख्याता को किसी महत्त्वपूर्ण खेल से सम्बन्धित दायित्व सौंपना एवं प्रगति का जायजा लेना। उस परिषद की सभा को सत्र में एक दो बार महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के मन्त्री श्रद्धय केसरीमलजी सुराणा सम्बोधित करते हैं तथा महाविद्यालय की प्रगति की गति को बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। महाविद्यालय स्टाफ क्लब संकाय सदस्यों के मध्य एक क्लब का गठन किया गया है। प्राचार्य महोदय द्वारा एक प्राध्यापक को क्लब का सचिव नियुक्त किया जाता है । संकाय के समस्त सदस्य इस क्लब के सदस्य होते हैं एवं दिन में एक बार सभी एक साथ बैठकर जलपान लेते हैं। यह एक स्वस्थ परम्परा है । संकाय सदस्यों में परस्पर प्रेम और सौहार्द के सम्बन्ध रहते हैं। परस्पर प्रगतिशील विचारों का आदान-प्रदान होता है। महाविद्यालय प्रशासन प्रबन्ध व्यवस्था पर विचारविमर्श होता है। इसके अतिरिक्त क्लब बाहर से पधारे महानुभावों के स्वागत एवं सम्मान में भी अल्पाहार का आयोजन करता है। भूतपूर्व विद्यार्थी परिषद-भूतपूर्व छात्रों से महाविद्यालय का सम्पर्क बनाये रखने के लिए भूतपूर्व छात्र परिषद का गठन किया गया है। इसमें महाविद्यालय का प्रत्येक भूतपूर्व विद्यार्थी सदस्य हो सकता है। इन विद्यार्थियों को सदस्यता हेतु आवेदन-पत्र भरकर प्रस्तुत करना होता है और फीस के रूप में मात्र ५ रु० प्राप्त किये जाते हैं । भूतपूर्व छात्र से यह अपेक्षा की जाती है कि अपने भावी जीवन की उपलब्धियों की सूचना महाविद्यालय को निरन्तर भेजते रहेंगे जिसे उनके प्रपत्र में दर्ज किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य न केवल महाविद्यालय एवं भूतपूर्व छात्रों के मध्य अनवरत सम्बन्ध बनाये रखना है वरन् भूतपूर्व छात्रों में आपसी मेलजोल को भी बढ़ाना है ताकि एक ही संस्था से निकले दो विद्यार्थी एक-दूसरे से लाभान्वित हो सकें । महाविद्यालय के भूतपूर्व विद्यार्थियों में से सात विद्यार्थी बम्बई में चार्टर्ड एकाउन्टेन्सी का कोर्स कर रहे हैं। कुछ निजी व्यवसाय में संलग्न हो गये हैं और कुछ राजस्थान के विभिन्न महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहे हैं। एक विद्यार्थी आई० सी० डब्ल्यू० ए० के कोर्स में संलग्न है। वार्षिक विवरण रजिस्टर-महाविद्यालय में सम्पन्न वर्ष भर की गतिविधियों को समावेशित करने के लिए एक रजिस्टर बनाया जाता है, जिसमें सभी प्रकार की गतिविधियों का वर्णन होता है। इस रजिस्टर का एक बार अवलोकन करने मात्र से महाविद्यालय की प्रगति की गति का दिग्दर्शन हो जाता है। सम्पत्ति रजिस्टर--इस रजिस्टर में महाविद्यालय में आने वाले विशिष्ट अतिथि महाविद्यालय का अवलोकन करने के पश्चात् महाविद्यालय की गतिविधियों के बारे में अपनी सम्मति अंकित करते हैं। दानदाताओं से सहयोग-महाविद्यायों में समय-समय पर अतिथि महानुभावों का शुभागमन होता रहता है। महाविद्यालय उनके सम्मान में सम्मान-समारोह आयोजित करता है। महाविद्यालय के स्वस्थ वातावरण, यहाँ की - . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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