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________________ २१२ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड सजन एवं विकास हेतु महाविद्यालय परिसर में छात्र परामर्श केन्द्र की स्थापना की गई है। इस सम्बन्ध में छात्रों को विभिन्न पदों की योग्यता सम्बन्धी जानकारी एवं चयन प्रक्रिया से अवगत किया जाता है। इस महाविद्यालय के विद्यार्थी बैंक, डाकतार विभाग, भू-राजस्व, एयर फोर्स तथा लोक सेवा आयोग के विभिन्न पदों पर अपनी योग्यतानुसार आवेदन करते हैं। अब तक इस योजना द्वारा लाभान्वित छात्रों की सूची निम्नानुसार है रोजगार प्राप्त छात्रों की विशेष विवरण सत्र संख्या १९७६-७७ १९७७-७८ १९४८-६ एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्री दाताराम ने सूचना सेवा का लाभ उठा कर पद प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। एक छात्र ने डाकतार विभाग में टाइम स्केल क्लर्क का पद प्राप्त किया। इस वर्ष रिक्त स्थानों पर आवेदन हेतु निधन छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई। दो छात्रों ने एयरफोर्स में पद प्राप्त किया तथा दो छात्रों ने टेलिफोन आपरेटर का पद भी प्राप्त किया। चार छात्रों ने डाक एवं तार विभाग में, एक छात्र ने ग्रामीण बैंक में पद प्राप्त किए । एक छात्र ने दरीबा माइन्स में पद प्राप्त किया। १६७९-८० १९८०-८१ शिक्षक-शिष्य-योजना-प्राचार्य महोदय प्रो० एस० सी० तेला के परामर्श से महाविद्यालय में शिक्षक-शिष्यवर्ग योजना का शुभारम्भ सत्र १९७६-७७ से किया गया। इस योजना का प्रारम्भिक उद्देश्य छात्रों और अध्यापकों के मध्य सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाना है। इस योजना का मुख्य विचार यह है कि अध्यापक छात्र के मित्र, दिग्दर्शक एवं सुसलाहकार का कार्य करें तथा उनके मध्य सम्बन्धों की खाई को इस हेतु से पाटा जा सके। इस योजना के अन्तर्गत सम्पूर्ण विद्यार्थियों को लगभग १० समूहों में विभक्त कर दिया जाता है और प्रत्येक समूह एक प्राध्यापक को सौंप दिया जाता है। इस वर्ग की सम्बन्धित प्राध्यापक के साथ वर्ष में दो-तीन बैठकें होती हैं जिनमें छात्रों की न केवल सामूहिक वरन् व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान का गुरुतर कार्य किया जाता है। शिक्षक-शिष्य योजना की बैठकों से विद्यार्थी वर्ग की विभिन्न समस्याएँ उभर कर सम्मुख आती हैं, इन समस्याओं के निराकरण से विद्यार्थियों में संतोष की भावना उत्पन्न होती है, अन्यथा छोटी-छोटी समस्याएँ ही आगे चलकर एकत्र होने पर विस्फोटक रूप धारण कर सकती थीं। दल के सभी छात्रों का एक साथ बैटकर चिन्तन करने से वातावरण सौहार्दपूर्ण हो जाता है, जिसके लाभ का एक छोटा-सा उदाहरण यह है कि एक सत्र में किसी निर्धन छात्र के पास शुल्क जमा कराने के लिए रुपये नहीं थे जब उस ग्रुप के अन्य छात्रों में इस सम्बन्ध में चर्चा हुई तो उन्होंने तत्काल सहायता का बीड़ा उठाया और छात्र की शुल्क राशि जमा करा दी। यह भ्रातृत्व का अनुपम उदाहरण है, जो इस योजना से ही प्रस्फुटित हुआ है। इस योजना के साथ ही प्राचार्य महोदय प्रत्येक सत्रावधि के आरम्भ में छात्र प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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