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________________ १० कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : द्वितीय खण्ड . - . -. -. . प्रत्येक रुचिशील विद्यार्थी इनमें भाग लेकर अपना खेल सम्बन्धी विकास कर सकता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि क्रिकेट जैसे महंगे और खर्चीले खेल की भी यहाँ सुविधा उपलब्ध है । महाविद्यालय में टेबिल टेनिस की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका श्रेय श्रीमान जयप्रकाश जी गादिया को है जिन्होंने उन्मुक्त भाव से टेबल टेनिस के लिए महाविद्यालय को अनुदान दिया । अन्तर्दलीय खेल-कूद प्रतियोगिता–सम्पूर्ण महाविद्यालय के श्रेष्ठतम खिलाड़ियों का चयन कर उन्हें दो दलों में विभक्त कर दिया जाता है और दोनों दलों के मध्य सभी प्रकार के खेलों के सम्बन्ध में अन्तर्दलीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। जो दल ज्यादा खेलों में विजेता रहता है उसे महाविद्यालय वार्षिकोत्सव के अवसर पर जनरल चैम्पियनशिप प्रदान की जाती है। दलों का चयन-विशिष्ट खेल में निपुणता के आधार पर छात्रों में सम्बन्धित खेल के लिए दल बनाया जाता है। इसके देख-रेख एवं परामर्श के लिए किसी व्याख्याता को प्रोफेसर इंचार्ज बनाया जाता है। चुने गये छात्रों में से विशिष्ट निपुणता एवं अब तक की उपलब्धियों, प्रमाण-पत्र इत्यादि के आधार पर दलनायक एवं उपदलनायक का चयन होता है। इसके लिए खेल परामर्शदात्री समिति की सभा होती है जिसका प्रत्येक व्याख्याता किसी . न किसी रूप में सदस्य होता है। खेल परामर्शदात्री समिति की सिफारिशों के आधार पर प्राचार्य अन्तिम निर्णय लेते हैं। वाधिक एथलिट दिवस-प्रत्येक वर्ष सामान्यतया २६ जनवरी के पावन पर्व पर महाविद्यालय वार्षिक एथलिट दिवस का आयोजन करता है । इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की दौड़, कूद तथा थ्रोज का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक रुचि रखने वाला विद्यार्थी इसमें आसानी से भाग ले सकता है। एथलिट दिवस पर छात्रों का उमंग, उत्साह देखते ही बनता है। जो छात्र सर्वाधिक सफलता प्राप्त करता है उसे सर्वश्रेष्ठ एथलिट के पद से विभूषित किया जाता है। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी-इस सम्बन्ध में छात्रों से प्रार्थना-पत्र एक निर्धारित प्रपत्र में आमन्त्रित किये जाते हैं और क्रीड़ा समिति गम्भीर विचार विमर्श के पश्चात् यह निर्णय करती है कि किस खिलाड़ी को यह सम्मान दिया जाय । उपलब्धियाँ-सत्र १९७८-७६ में महाविद्यालय के हाकी दल ने नेहरू मैमोरियल कालेज, हनुमानगढ़ में आयोजित राजस्थान विश्वविद्यालय अन्तर्महाविद्यालय हाकी प्रतियोगिता में भाग लिया एवं प्रथम चक्र में राजकीय महाविद्यालय नसीराबाद को हराकर द्वितीय चक्र में प्रवेश किया। इसी सत्र में राजकीय महाविद्यालय आबरोड में आयोजित अन्तर्महाविद्यालय खो-खो प्रतियोगिता में भी महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया गया तथा महाविद्यालय के दल ने राजकीय महाविद्यालय बीकानेर को परास्त कर द्वितीय चक्र में प्रवेश किया। अल्प समय में ही महाविद्यालय द्वारा प्राप्त की गई ये उपलब्धियाँ गौरवपूर्ण हैं। इस महाविद्यालय की अंतिम वर्ष की कक्षाओं को उत्तीर्ण कर आगे के अध्ययन हेतु अन्य महाविद्यालयों में गये विद्यार्थियों में से चार विद्याथियों ने अपने-अपने महाविद्यालयों में विभिन्न खेलों की टीमों के प्रथम ग्यारह खिलाड़ियों में स्थान प्राप्त किया है। राष्ट्रीय सेवा योजना-महाविद्यालय के छात्रों की सेवा-भावना को प्रोत्साहित करने के लिए, महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की स्थापना की गई है। इस योजना का शुभारम्भ महाविद्यालय में सत्र १९७६-७७ में ही हो गया था परन्तु राज्य सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में अनुदान सत्र १९७७-७८ से मिलना प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भ के वर्ष ५० छात्रों के लिए ५५ रुपये प्रति छात्र की दर से कुल २,७५० रुपये अनुदान राशि प्राप्त हुई परन्तु बाद वाले वर्षों में ७५ छात्रों के लिए ५५ रुपये प्रति छात्र की दर से कुल ४,१२५ रुपये अनुदान राशि प्रतिवर्ष प्राप्त हो रही है। इस राशि का उपयोग राष्ट्रीय सेवा योजना से सम्बन्धित गतिविधियों को सफलनापूर्वक संचालित करने के लिए किया जाता है। इस प्रवृत्ति के अन्तर्गत इस महाविद्यालय के छात्र अत्यन्त रुचिशील हैं। परिणामस्वरूप प्रत्येक वर्ग छात्रों की संख्या राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्रदत्त छात्रों की संख्या से अधिक होती है। 0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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